नई दिल्ली। 28वां विश्व पुस्तक मेला चार से 12 जनवरी तक राजधानी दिल्ली के प्रगति
मैदान में होगा जिसका उद्घाटन मानव संसाधन एवं विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक करेंगे। राष्ट्रीय पुस्तक
न्यास (एनबीटी) के अध्यक्ष प्रोफेसर गोविंद प्रसाद शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि इस बार मेले की थीम ‘महात्मा
गांधी: लेखकों के लेखक’ होगी। इस बार मेले में कोई अतिथि देश शामिल नहीं होगा। मेले में 600 देशी-विदेशी
प्रकाशकों के 1300 से अधिक स्टाल होंगे और 23 देश भाग लेंगे, लेकिन पाकिस्तान, बंगलादेश और
अफगानिस्तान आदि को आमंत्रित नहीं किया गया है। यह पूछे जाने पर कि इन देशों को मेले के लिए क्यों नहीं
आमंत्रित किया गया है इस पर श्री शर्मा ने कहा, “यह आप भी जानते हैं कि उन्हें क्यों नहीं आमंत्रित किया गया
है और इसके दरअसल राजनीतिक कारण होते हैं।” उन्होंने बताया कि इस वर्ष 2020 में पेरिस पुस्तक मेले (फ्रांस)
में भारत अतिथि देश के तौर पर शामिल होगा। यह पूछे जाने पर कि प्रत्येक वर्ष मेले में किसी न किसी देश को
अतिथि देश के रूप में शामिल किया जाता रहा है, लेकिन इस बार किसी भी देश को अतिथि देश नहीं बनाया गया
है, न्यास के अध्यक्ष ने कहा कि प्रगति मैदान में निर्माण कार्य चल रहा है इसलिए किसी अतिथि देश को आमंत्रित
नहीं किया गया है। निर्माण कार्य की वजह से असुविधा को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। संवाददाता
सम्मेलन में एनबीटी की निदेशक श्रीमती नीरा जैन, आईटीपीओ (भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन) के कार्यकारी
अध्यक्ष राजेश अग्रवाल और मानव संसाधन विकास मंत्रालय में अतिरिक्त निदेशक मदन मोहन भी मौजूद थे। श्री
शर्मा ने बताया कि महात्मा गांधी के 150वें जयंती वर्ष के मद्देनजर मेले में गांधी मंडप तैयार किया गया है
जिसमें महात्मा गांधी द्वारा लिखी गयी पुस्तकों के अलावा उन पर विभिन्न भारतीय भाषाओं में लिखी गयी 500
पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। गुजरात में अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से प्रेरित और विशेष रूप से
डिजाइन किए गए इस मंडप में भारतीय भाषाओं के 100 प्रकाशकों की 500 पुस्तकों की एक विशेष प्रदर्शनी भी
होगी। उन्होंने बताया कि न्यास ने पिछले वर्ष गांधी जी पर छह-सात पुस्तकें प्रकाशित की हैं और न्यास की पत्रिका
पुस्तक संस्कृति का गांधी विशेषांक प्रकाशित किया गया है।