नई दिल्ली। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने देश के युवाओं का आह्वान किया है कि वे नए विचारों और नवाचारों के साथ आगे आएं और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना के अनुरूप 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में सरकार की मदद करें। वे 10 जून, 2023 को बिहार के रोहतास जिले में गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित कर रहे थे।
श्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत अपने स्वर्ण युग में प्रवेश कर चुका है और यह ‘अमृत काल’ के अंत में 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए अभूतपूर्व गति से अग्रसर है। उन्होंने कहा कि निवेश फर्म मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार के प्रयासों के कारण, भारत दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और यह 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
रक्षा मंत्री ने देश में स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि स्टार्ट-अप की संख्या आज लगभग एक लाख हो गई है, जिसमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युवाओं में देश को अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने और मानवता की बेहतरी में योगदान देने की क्षमता है।
श्री राजनाथ सिंह ने छात्रों से आग्रह किया कि वे जितना शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं उतना ही ध्यान देश की विभिन्न संस्कृतियों, मूल्यों और परंपराओं के साथ जुड़ने पर भी दें। उन्होंने कहा, ‘’आपके मूल्य न केवल दुनिया में आपकी पहचान हैं, बल्कि यह आपके माता-पिता, शिक्षकों और देश की भी पहचान है’’।
रक्षा मंत्री ने छात्रों को चरित्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया, उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा स्थल है जहां किसी व्यक्ति का मूल्यांकन न केवल उसके ज्ञान से किया जाता है, बल्कि मूल्यों और व्यवहार के माध्यम से भी किया जाता है। उसने कौशल का उपयोग कितनी कुशलता से किया इस पर भी व्यक्ति का मूल्यांकन किया जाता है। उन्होंने कहा कि अहंकार, अति आत्मविश्वास और आत्म-केंद्रित सोच, विकास के मार्ग की बड़ी बाधाएं हैं। उन्होंने कहा कि प्रगति के पथ पर सभी को एक साथ लेकर आगे बढ़ते रहने का उद्देश्य होना चाहिए।
श्री राजनाथ सिंह ने छात्रों से आग्रह किया कि वे स्वयं को आध्यात्मिक रूप से निखारते रहें, शैक्षणिक संस्थान उन्हें अकादमिक और मानसिक स्तर पर पोषित करते हैं। उनका विचार था कि जब कोई व्यक्ति आध्यात्मिक चेतना विकसित करता है, तो वह राष्ट्र के विकास के बारे में उतना ही सोचता है जितना कि स्वयं के विकास के बारे में।
रक्षा मंत्री ने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे छात्रों के मन और मस्तिष्क में सीखने की शाश्वत लौ प्रज्ज्वलित करें। उन्होंने इसे किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बताया, जिससे न केवल व्यक्तिगत विकास सुनिश्चित होता है, बल्कि समाज का विकास भी सुनिश्चित होता है।