हुगली : पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के एक छोटे से गांव बाराबेरी की रहने वाली जहांआरा बीबी की कहानी वाकई में प्रेरणादायक है। स्थानीय नवविवाहिता जहांआरा बीबी को पता चला कि उनके पति के घर में शौचालय नहीं है और उन्हें खुले मैदान में शौच के लिए जाना पड़ेगा, तो वह काफी शर्मिंदा हुईं और उन्हें ये बाते परेशान भी करने लगी।
जहाँआरा को यह जानकर और भी आश्चर्य हुआ कि गाँव के अधिकांश घरों में शौचालय की सुविधा नहीं थी और सभी खुले में ही शौच के लिए जाते हैं। घर में शौचालय का न होना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। और उन्होंने घर में शौचालय बनवाने की ठानी।
शौचालय बनाने और उचित स्वच्छता सुविधा का लाभ उठाने के लिए धन प्राप्त करने के उसके सभी प्रयास विफल रहे, क्योंकि वह स्थानीय साहूकारों द्वारा मांगे गए जमानत सुरक्षा को प्रदान करने में असमर्थ थी।
अपने एक मित्र द्वारा मुथूट माइक्रोफिन से परिचित करवाने से पहले तक जहाँआरा बीबी को मजबूरी में खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा था।। वह ग्रामीण भारत में उचित स्वच्छता सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए मुथूट माइक्रोफिन के आसान और कोलैटरल-फ्री ऋण से आश्चर्यचकित थीं। मुथूट माइक्रोफिन के साथ जुड़ने से पहले, जहांआरा को इस बात का अंदाजा नहीं था कि इतने आसान शर्तें पर उसे सेनिटेशन इम्प्रूवमेंट लोन के रूप में माइक्रोक्रेडिट मिलना संभव है।
जहांआरा ने घरेलू शौचालय बनाने के लिए मुथूट माइक्रोफिन से अपने पहले ऋण के लिए तुरंत आवेदन किया और एक दिन के भीतर ही उन्हें इस ऋण की मंजूरी मिल गई। निर्माण एक सप्ताह के समय में पूरा किया गया था। वर्तमान में जहांआरा बीबी के घर में शौचालय है और वे स्वच्छता का अभ्यास कर रहे हैं।
स्वच्छता प्रणाली के लिए उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प उन्हें गांव की अन्य महिलाओं के लिए एक आदर्श व्यक्तित्व बनाता है। जहांआरा के नक्शेकदम पर चलते हुए अब गांव का हर एक परिवार अपने घर में शौचालय बनाने की योजना बना रहा है।
हर्षित जहाँआरा बीबी अन्य महिलाओं को इन-हाउस शौचालय की आवश्यकता के बारे में जागरूक करने का निर्णय लेती हैं और कहती हैं, “मैं मुथूट माइक्रोफिन को त्वरित और आसान कोलैटरल-फ्री ऋण के लिए धन्यवाद देती हूं। मैं अपने परिवार को उचित स्वच्छता उपलब्ध कराने में सक्षम हुईं। मैं निकट भविष्य में अपने गांव को पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त स्थान बनाने के लिए संस्था के साथ जुड़ी रहूंगी।”
संस्थान के अधिकारी ने बताया कि ” माइक्रोफाइनेंस वित्तीय अंतर को कम कर रहा है और कोलैटरल-फ्री ऋण प्रदान करके आर्थिक पिरामिड के नीचे रहने वाले लोगों तक पहुँच रहा है। यह उद्योग वंचित समुदायों के लोगों के लिए स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल के अभ्यास में सफलतापूर्वक योगदान दे रहा है। इसके अलावा, घरेलू परिसर के भीतर सुरक्षित पानी और बेहतर स्वच्छता संरचनाएं समय बचाती हैं जिसका उपयोग निम्न आय वाले परिवार आय उत्पन्न करने वाली गतिविधियों के लिए कर सकते है।
भारत सरकार की स्वच्छ भारत पहल के अनुरूप, माइक्रोफाइनेंस कंपनियां भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता को बढ़ावा देने और महिला उधारकर्ताओं को उचित स्वच्छता सुविधाएं का उपयोग करने के लिए प्रेरित करने के लिए कदम आगे बढ़ा रही हैं। यह पहल प्रभावी रूप से बेहतर उत्पादकता और सामाजिक-आर्थिक कल्याण की ओर ले जाती है। मुथूट माइक्रोफिन ने ऐसे उत्पादों को निर्माण करने का बीड़ा उठाया है जो देश के दूरदराज के गाँव में रहने वाले वंचित समुदायों के जीवन चक्र की जरूरतों को पूरा करते हैं। ऐसा ही एक उत्पाद है सेनिटेशन इम्प्रूवमेंट लोन।