नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने गैरजरूरी जनहित याचिका दाखिल करने वाले पर सख्ती
दिखाई है। हाईकोर्ट ने कोरोना काल में विधवा पेंशन रोके जाने के मामले पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के
दौरान कहा कि जनहित याचिका दायर करना आजकल धंधा बन गया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता
वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से उसकी जीविका के स्रोत के खुलासे का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा कि वह जनहित याचिका दायर करने के लिए पैसा नहीं
लेते। तब कोर्ट ने पूछा कि आप अपनी जीविका कैसे चलाते हैं। आप सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करते हैं तो
बताएं कि आपने अभी तक कितने लोगों का भला किया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि पिछले 3 साल में
कितनी जनहित याचिकाएं दायर की हैं। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को हलफनामा दायर कर अपने बैंक खाते का ब्यौरा
देने का आदेश दिया। यह आदेश तब आया जब कोर्ट को पता चला कि इस व्यक्ति ने एक नहीं, कई जनहित
याचिकाएं दायर की हैं और वह भी किसी ठोस आधार के बिना।
सामाजिक कार्यकर्ता हरपाल सिंह राणा ने दायर याचिका में कहा है कि आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक
कोरोना काल में करीब 12 हजार विधवा महिलाओं का पेंशन रोक दिया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील
अखिल राणा और उत्कर्ष शर्मा ने कहा था कि बिना किसी पुख्ता वजह से विधवा पेंशन रोका गया है। याचिका में
विधवा पेंशन का वेरिफिकेशन कर उसे तुरंत बहाल करने की मांग की गई है । महिलाओं को उनकी बेटी की शादी
के लिए मिलनेवाली सहायता भी नहीं दी जा रही है।