जयपुर। राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन और माल ढुलाई के काम आने वाले देसी जुगाड़ को राजस्थान हाईकोर्ट ने मोटर वाहन माना है। इन्हें अब तक मोटर वाहन की श्रेणी में नहीं माना जाता था। इस सम्बन्ध में दायर एक याचिका में अदालत ने जुगाड़ चालक और उसके मालिक को आदेश दिए हैं कि वह जुगाड़ पलटने से मरने वाले के परिजनों को मुआवजे के तौर पर 4 लाख 94 हजार रुपए 6 फीसदी ब्याज सहित अदा करें।
न्यायाधीश बनवारी लाल शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश संतरा देवी व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि दुर्घटना के वक्त जुगाड़ सवारी ले जाने के काम कर रहा था।
इससे साफ जाहिर है कि जुगाड़ के इंजन की क्षमता 25 क्यूबिक सेंटीमीटर से अधिक है और उसमें गियरबॉक्स भी लगा हुआ है। ऐसे में मोटर वाहन अधिनियम की धारा 2(28) के प्रावधानों के तहत वह मोटर वाहन की श्रेणी में माना जाएगा। इसके साथ ही अदालत ने निचली अदालत की ओर से क्लेम दावा खारिज करने के आदेश को भी रद्द कर दिया है।
दरअसल सीकर जिले में वर्ष 2005 में गिरधारी लाल नाम का व्यक्ति जुगाड़ में बैठकर बढाडर से अपने ग्राम सांवलोदा पुरोहितान जा रहा था। रास्त में जुगाड़ चालक सुभाष ने जुगाड़ को लापरवाही से चलाया। जिससे वह पलट गया और गिरधारी की मौके पर ही मौत हो गई।
सीकर की मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण इस सम्बन्ध में दायर दुर्घटना दावे को खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ गिराधारी लाल के परिजन हाईकोर्ट में गए थे।
याचिका में कहा गया कि जुगाड़ मोटर वाहन की श्रेणी में आता है। ऐसे में याचिकाकर्ताओं को मुआवजा दिलाया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने माना की जुगाड़ मोटर वाहन की श्रेणी में आता है और याचिकाकर्ताओं को जुगाड़ चालक और उसके मालिक से क्षतिपूर्ति हासिल करने का अधिकार है।