मनदीप जैन
नई दिल्ली। मेडिकल स्टॉफ के ऊपर हो रहे हमले को लेकर सरकार सख्त हो गई है।
सरकार ने इसके लिए अब एक कानून बनाने की बात कही है। इस पर डॉक्टरों की प्रतिक्रिया आने लगी है।
राममनोहर लोहिया अस्पताल में डॉक्टर सुमेध संदाशिव ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार के
इस सख्त कदम से हमारा (डॉक्टर) मेडिकल स्टॉफ का हौसला बढ़ेगा। हालांकि उन्होंने सरकार को एक संदेश
देते हुए कहा कि इस अधिनियम को भविष्य के लिए लागू किया जाना चाहिए न कि केवल इस महामारी के दौरान
तक ही।
इधर, सर गंगाराम अस्पताल के चेयरमैन ने कहा कि मैं सरकार के द्वारा उठाए गए इस कदम का स्वागत
करता हूं। इस तरह के कानून की देश को बहुत ज्यादा सख्त जरूरत थी। यह कानून उन शरारती और उपद्रवियों
के मन में डर पैदा करेगा जो डॉक्टरों का सम्मान नहीं करते हैं। बता दें कि सरकार के द्वारा इस कानून बनाने
के बात सामने आने के बाद से दिल्ली के हर अस्पताल से डॉक्टरों की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। सभी एक
स्वर में सरकार के कदम की तारीफ कर रहे हैं।
सरकार ने सही वक्त पर लिया उचित फैसला
राजन बाबू टीबी अस्पताल (आरबीटीबी) में डॉक्टर रोहित निराला ने बताया कि हाल के दिनों में मेडिकल
कर्मचारियों पर लगातार हमले हो रहे हैं तब ऐसे वक्त में सरकार का यह एक अच्छा फैसला है। मोदी सरकार को
शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि भविष्य में भी इस कानून को लागू रखा जाए ताकि हमारी सुरक्षा सनिश्चित रहे।
क्या है सरकार का फैसला
पिछले कुछ दिनों से सरकार ने यह नोटिस किया कि कोरोना के खिलाफ जंग में देश के कई हिस्सों में डॉक्टरों
के ऊपर हमले होने लगे हैं। हाल के दिनों में यह ज्यादा तेज हो गए हैं। इसके बाद से डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए
सरकार ने यह कानून बनाने का फैसला लिया है। हालांकि इस कानून की मांग काफी पहले से डॉक्टर करते आ रहे
थे।
क्या है सजा का प्रावधान
सरकार ने बताया कि डॉक्टरों पर हुए गंभीर हमले के मामले में हमलावर को छह माह से सात साल तक सजा
कैद का प्रावधान है। वहीं एक लाख से पांच लाख रुपये तक का जुर्माने का भी प्रावधान है। इसके तहत एक
अध्यादेश लाया गया है जो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू कर दिया जाएगा। महामारी रोग अधिनियम 1897
में संशोधन के साथ अध्यादेश लागू किया जाएगा।