नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने संसद की एक समिति को बताया है कि भारतीय सेना में अधिकारियों की भर्ती प्रक्रिया में ‘कोई देरी नहीं’ होती है और इसके लिए एक निश्चित समयसीमा के साथ ‘अच्छी तरह से स्थापित प्रक्रिया’ है तथा वीर नारियों सहित सभी आवेदकों के साथ ‘समान व्यवहार’ किया जाता है।
‘युद्ध विधवाओं/सशस्त्र बलों में परिवारों के लिए उपलब्ध कल्याण उपायों का आकलन’ विषय पर रक्षा संबंधी संसद की स्थायी समिति की 31वीं रिपोर्ट (17वीं लोकसभा) में शामिल टिप्पणियों या सिफारिशों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया और बृहस्पतिवार को इसे राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेना, नौसेना और वायु सेना के संबंधित सेवा मुख्यालयों द्वारा रक्षा कर्मियों की विधवाओं या परिवारों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियां दी जा रही हैं। कर्तव्यों का पालन करते हुए अपनी जान गंवाने वाले रक्षा कर्मियों की विधवाएं लघु सेवा आयोग (गैर-तकनीकी और तकनीकी) के तहत आवेदन करने के लिए पात्र होती हैं। इसमें कहा गया है कि अगर उनके बच्चे हैं तो भी वे इसके लिए पात्र हैं लेकिन उनकी दोबारा शादी नहीं होनी चाहिए।
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि एसएससी (तकनीकी) महिला और एसएससी (गैर-तकनीकी) महिला प्रवेश दोनों में विधवाओं के लिए कुल पांच प्रतिशत रिक्तियां निर्धारित की गई हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ”समिति का मानना है कि रोजगार पात्रता के लिए ‘वीर नारी’ के अविवाहित होने के मानदंड पर फिर से विचार किया जाना चाहिए। इसके अलावा समिति के संज्ञान में आया है कि अनुकंपा आधारित नियुक्ति के कुछ मामलों में उम्मीदवारों को नियुक्ति पाने में अत्यधिक देरी का सामना करना पड़ता है। जाहिर है कुछ मामलों में विधवाएं रिक्तियों की घोषणा की प्रतीक्षा करते हुए अपनी आयु सीमा पार कर जाती हैं।”
रिपोर्ट में कहा गया है, ”समिति सिफारिश करती है कि एक उपयुक्त तंत्र तैयार किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कम से कम निकटतम रिश्तेदारों को योग्य और इच्छुक ‘वीर नारी’ को कम से कम समय में रोजगार या पुनर्वास का विकल्प दिया जा सके।
सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि ”भारत सरकार के दिनांक 20 जुलाई 2006 के पत्र संख्या बी/32313/पीसी/एजी/पीएस-2(ए)/921/डी(एजी) के अनुसार कल्याणकारी उपायों के तहत रक्षा कर्मियों की विधवाओं को पांच प्रतिशत रिक्तियां प्रदान की जाती हैं। उन्हें एसएससी (तकनीकी) और (गैर-तकनीकी) महिला प्रवेश के लिए प्राथमिकता दी जाती है।”
‘वीर नारियों’ को 35 वर्ष की आयु तक की छूट प्रदान की जाती है। सरकार ने कहा कि पुनर्विवाह करने वाली वीर नारियों को छूट नहीं दी जाती है क्योंकि वे वित्तीय कठिनाई में नहीं हैं और उनके लिए एक सहायता प्रणाली मौजूद है।
सरकार ने समिति को अपने जवाब में कहा, ”भारतीय सेना में अधिकारियों की भर्ती प्रक्रिया में कोई देरी नहीं होती है। इसके लिए निश्चित समयसीमा के साथ अच्छी तरह से स्थापित प्रक्रिया है और वीर नारियों सहित सभी आवेदकों को भर्ती प्रक्रिया में समान अवसर दिया जाता है।”
सरकार ने कहा, ”एसएससी (गैर-तकनीकी) प्रवेश के लिए आवेदन करने वाली वीर नारियों/विधवाओं को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की लिखित परीक्षा से छूट दी गई है। अन्य पात्रता मानदंडों को पूरा करने पर उन्हें सीधे सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी) द्वारा सेवा का अवसर दिया जाता है।”