नई दिल्ली। सेना प्रमुख द्वारा असम की पार्टी ऑल इंडिय यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) को लेकर दिए गए बयान पर राजनीतिक बवाल मच गया है। जहां असदुद्दीन औवेसी ने उन्हें राजनीतिक बयानबाजी से बचने की नसीहत दी है वहीं एआईयूडीएफ के प्रमुख ने कहा कि अगर उनकी पार्टी भाजपा से आगे निकल रही है तो आर्मी चीफ को क्यों दिक्कत हो रही है।
पार्टी के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि सेना प्रमुख ने एक राजनीतिक बयान दिया है जो चौंकाने वाला है। सेना प्रमुख के लिए यह चिंता का विषय क्यों है कि लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर चलने वाली पार्टी भाजपा के मुकाबले तेजी से बढ़ रही है। वैकल्पिक पार्टियां इसलिए आगे बढ़ीं क्योंकि बड़ी पार्टियों ने सत्ता ठीक से नहीं चलाई।
बदरुद्दीन ने आगे कहा कि इस तरह के बयानों के माध्यम से कहीं सेना प्रमुख खुद को राजनीति में तो शामिल नहीं कर रहे जो संवैधान द्वारा उन्हें दिए अधिकारों के खिलाफ है।
ओवैसी ने भी उठाए सवाल
बदरुद्दीन के अलावा एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सेना प्रमुख के बयान पर सवाल उठाए हैं। ओवैसी ने ट्वीट कर लिखा है कि सेना प्रमुख को राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, किसी राजनीतिक पार्टी के उदय पर बयान देना उनका काम नहीं है। लोकतंत्र और संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है, सेना हमेशा एक निर्वाचित नेतृत्व के तहत काम करती है।
यह कहा था सेना प्रमुख ने
आर्मी चीफ बिपिन रावत ने बुधवार को एक इवेंट में कहा था कि एआईयूडीएफ तेजी से उभरी है, जबकि भाजपा को उभरने में सालों लग गए। अखिल भारतीय संयुक्त डेमोक्रेटिक फ्रंट तेजी से असम में बढ़ रहा है। तब 1984 में भाजपा ने महज दो सीटें जीती थी। बता दें कि एआईयूडीएफ मुस्लिमों के पैरोकार के रुप में 2005 में बना था और फिलहाल लोकसभा में उसके तीन सांसद और असम विधानसभा में 13 विधायक हैं।