नई दिल्ली। पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) के तत्वावधान में केंद्रीय स्तरीय बैंकर समन्वय समिति की पहली बैठक 5 अगस्त 2024 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित की गई। पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) की सचिव सुश्री अलका उपाध्याय ने बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी), नाबार्ड, सिडबी, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के वरिष्ठ अधिकारी और संबंधित ऋणदाता बैंकों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
सुश्री अलका उपाध्याय ने आरंभिक संबोधन में भारत के पशुधन क्षेत्र के विकास में बैंकों के अपार योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत, विश्व का अग्रणी दूध उत्पादक देश है। विश्व में तीसरा अंडा और मछली उत्पादक देश और पांचवां सबसे बड़ा मांस और मुर्गी उत्पादक देश है। आहार में इन उत्पादों को शामिल करने से प्रोटीन की कमी को दूर किया जा सकता है। यह खाद्य असुरक्षा और कुपोषण दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान देता। उन्होंने कहा कि बैंक, ऋण-लिंक्ड योजनाओं को लागू करके भारत को आत्मनिर्भरता के मार्ग पर अग्रसर करने, निर्यात क्षमता को बढ़ावा देने और संगठित प्रसंस्करण क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
अपर सचिव (मवेशी एवं डेयरी) सुश्री वर्षा जोशी ने सभा को संबोधित करते हुए भारत के पशुपालन क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लाने में ऋण प्रदान करने वाली एजेंसियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।
संयुक्त सचिव (एनएलएम) डॉ. ओ.पी. चौधरी ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए बैठक की शुरुआत की और भारत की अर्थव्यवस्था में पशुधन क्षेत्र के महत्व पर प्रकाश डाला, जो देश भर में रोजगार और आजीविका प्रदान करता है। संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्य पालन और प्रशासन) श्री सागर मेहरा ने मत्स्य पालन विभाग के तहत विभिन्न योजनाओं का समर्थन करने में बैंकों और ऋण देने वाली संस्थाओं की भूमिका पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी।
पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ), राष्ट्रीय पशुधन मिशन-उद्यमिता विकास कार्यक्रम (एनएलएम-ईडीपी) और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) सहित डीएएचडी योजनाओं के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की गई। चर्चा में उपलब्धियां, दिशा-निर्देशों में संशोधन, पोर्टल का उपयोग, लंबित मुद्दे और ऋण देने वाली संस्थाओं की भूमिका और अपेक्षित सहायता शामिल थी। अतिरिक्त सुरक्षा की कमी के कारण छोटे उद्यमियों के लिए वित्त तक सीमित पहुंच, पात्र परियोजनाओं को मंजूरी देने में देरी, ब्याज छूट दावों और सहायक दस्तावेजों को समय पर जमा न करना और उपस्थित ऋणदाताओं से फीडबैक जैसी चुनौतियों को दूर करने पर बल दिया गया। यह कार्यक्रम में पशु पालन और डेयरी विकास के क्षेत्र के बेहतरीन अवसरों का साक्षी रहा।