नई दिल्ली। दिल्ली पंचायत संघ ने गांवों की समस्याओं का समाधान कराने के साथ ग्रामीणों की वर्षों तक जीवनदायनी रही साहिबी नदी को जीवंत करने का भी बीड़ा उठाया। इस संबंध में पंचायत संघ ने दिल्ली में साहिबी के प्रवेश स्थल ढांसा गांव में पंचायत की। पंचायत में पंचायत संघ के पदाधिकारियों के साथ-साथ लोक संसद के पदाधिकारियों ने भी शिकरत की। इस दौरान मांग की गई कि दिल्ली में साहिबी नदी को नजफगढ़ ड्रेन/नाला नहीं कहा जाए। इसे साहिबी नदी के नाम से पुकारा जाए और प्रचार भी किया जाए।
इस मौके पर पंचायत संघ के प्रमुख थानसिंह यादव ने ढांसा गांवों के ग्रामीण नारायण सिंह, राजेंद्र कटारिया, सूबेदार जयसिंह डागर, नवीन सिंह डागर, अनिल कौशिक, राकेश कौशिक आदि के साथ साहिबी नदी का मुआयना किया। इसके बाद पंचायत में थानसिंह यादव ने कहा कि साहिबी नदी का उद्धार किए बिना यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने की कल्पना करना संंभव नहीं है, क्योंकि यमुना नदी को प्रदूषित करने में साहिबी नदी की प्रमुख भूमिका है। यह नदी प्रदूषित होने के कारण ग्रामीण इलाके के निवासियों को भी कई प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खास तौर पर भूजल दूषित हो गया है। इसका सीधा प्रभाव कृषि पर पड़ रहा है।
पंचायत में गांवों से जुड़े 18 सूत्री मुद्दों पर भी चर्चा हुई। ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि उनको गुलाम नहीं समझा जाए। सभी सरकारें उन पर ऐसे नियम व कानून थोपने बंद करें, जो गांवों में लागू नहीं हो सकते। इसके अलावा उनको आर्थिक पर कमजोर करने वाले कर भी लगाने बंद किए जाए, क्योंकि उनकी कृषि भूमि का कोड़ियों के भाव अधिग्रहण करके उन्हें बर्बाद कर दिया है और सरकारें उनकी अधिग्रहित कृषि भूमि बेचकर मालामाल हो गई है। ग्रामीणों ने कहा कि उनकी 18 सूत्री मांगों को मानने की पहल नहीं करने की स्थिति में वह जल्द ही आंदोलन शुरू करेंगे। इस बारे में उन्होंने जनजागरण अभियान आरंभ कर दिया है।