जमशेदपुर। मेहनत करने वाला इन्सान ज्यादा दिनों तक गरीब नहीं रह सका। झारखंड की कुछ महिलाओं ने यह साबित कर दिया है। इन्होंने हर्बल साबुन बनाकर न केवल अपनी किस्मत चमका ली बल्कि परिवार की गरीबी भी दूर कर दी। पढ़ें प्रेरणा देने वाली सच्ची कहानी –
जमशेदपुर से 14 किलोमीटर दूर हुरलुंग गांव की महिलाएं अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और स्वावलंबन के जरिए आर्थिक समृद्धि की राह पर चल पड़ी हैं। ये देशभर की उन ग्रामीण महिलाओं के लिए मिसाल हैं जो सरकारी योजनाओं की बाट जोहती रह जाती हैं।
एक समय था जब ये महिलाएं आर्थिक तंगी से त्रस्त थीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत जुटाई और गरीबी को पछाड़ दिया। घर पर ही प्राकृतिक सामग्री से हर्बल साबुन बनाकर इन्होंने न सिर्फ गरीबी को धो डाला बल्कि अच्छी खासी पूंजी जुटाकर अन्य महिलाओं को प्रेरणा दे रही हैं।
डिमांड में उत्पाद : इनके इको हर्बल साबुन का प्रचार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में भी हो चुका है। इनकी वेबसाइट भी है। दिल्ली की कई कंपनियां इन्हें नियमित रूप से महीने में दो से तीन हजार पीस साबुन का आर्डर भेजती रहती हैं। रेलवे के पार्सल और कूरियर के जरिए साबुन की आपूर्ति अन्य शहरों में होती है।
गांव की मीनू रक्षित ने प्रगति महिला समिति नामक समूह बनाकर 2008 में स्टार्टअप शुरू किया था। वह इस स्वयं सहायता समूह की टीम लीडर हैं। मात्र 12 महिलाओं का यह समूह त्वचा संबंधी दस प्रकार के हर्बल साबुन बनाता है। बीस से सौ रुपये तक में बिकने वाले ये हर्बल साबुन दिल्ली, मुंबई समेत कई बड़े शहरों में भेजा जा रहा है। बीती 15 अक्टूबर को महिला किसान दिवस पर दिल्ली में समूह को सम्मानित किया गया। मीनू ने महिला उद्यमिता सम्मान ग्रहण किया।
कम लागत-अधिक फायदा: इस समूह की महिलाओं ने घर व दालान को ही कारखाना बना लिया है। यहां ये महिलाएं मशीन नहीं, हाथ से और देसी तकनीक से साबुन बनाती हैं।
प्रोडक्ट के नाम: कुसुम सोप, जास्मीन सोप, ऑरेंज सोप, लेमन सोप, ऑलमंड सोप, रोज सोप, एलोवेरा सोप, नीम सोप, तुलसी सोप, संदल सोप और हल्दी सोप।