नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय केरल की उस महिला की याचिका पर अगले हफ्ते
सुनवाई करने को सहमत हुआ है, जिसे सबरीमला मंदिर में प्रवेश से रोका गया था। महिला ने याचिका
में आरोप लगाया है कि मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश देने के शीर्ष अदालत के फैसले
के बावजूद उसे मंदिर में प्रवेश करने से रोका गया। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति बी
आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्जाल्विस की दलीलों पर
गौर किया कि महिला को इस ऐतिहासिक मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया। पांच न्यायाधीशों की
संविधान पीठ ने पिछले साल सितंबर में दिए गए फैसले में केरल के सबरीमला में भगवान अयप्पा के
मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी। पीठ ने कहा था कि शारीरिक
संरचना के आधार पर भेदभाव करना समानता के अधिकार जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। ताजा
याचिका पर पीठ ने कहा, “हम अगले हफ्ते याचिका पर सुनवाई करेंगे।”