विकास गुप्ता
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पुरानी सहयोगी और महाराष्ट्र की
सत्ता में प्रमुख साझेदार शिवसेना अपने ‘फिफ्टी-फिफ्टी’ फॉर्मूले के तहत भाजपा पर दबाव बनाने में लगी
हुई है और उसने शुक्रवार को एक पोस्टर जारी किया जिसमें आदित्य ठाकरे को ‘भावी मुख्यमंत्री’ बताया
गया है। इससे पहले गुरुवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपनी आकांक्षा व्यक्त करते हुए
सांकेतिक शब्दों में कहा था कि उसके लंबे समय से सहयोगी भाजपा के साथ सब कुछ अच्छा नहीं हो
सकता। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, “हमने लोकसभा चुनाव के दौरान समायोजन किया था, लेकिन
अब ऐसा नहीं कर सकते। मुझे यह सुनिश्चित करना होगा कि मेरी पार्टी फलती-फूलती रहे।” शिवसेना ने
शुक्रवार को प्रकाशित अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय आलेख में पार्टी के सभी शुभचिंतकों को ‘सत्ता
के अहंकार’ का प्रदर्शन न करने की चेतावनी दी। संपादकीय में कहा गया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव
में भाजपा-शिवसेना सत्ता में पुन: लौटी है हालांकि उनके सीटों की संख्या में कमी आयी है और यह
परिस्थिति उस धारणा को खारिज करती है कि तोड़फोड़ की राजनीति और विपक्षी दलों में दोफाड़ कर
चुनाव जीता जा सकता है। संपादकीय में कहा गया कि चुनाव से पहले यह सवाल भी उठाए जाते रहे कि
श्री शरद पवार के नेतृत्व वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का कोई भविष्य नहीं है लेकिन चुनाव
परिणाम उलटा आए और राकांपा ने 50 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस
ने भी 44 सीटें जीती। चुनाव परिणाम इस बात की चेतावनी है कि सरकार को सत्ता का अहंकार नहीं
करना चाहिए। माना जा रहा है कि शिवसेना श्री आदित्य ठाकरे को ढाई साल बाद मुख्यमंत्री पद देने का
समझौता कर सकती है। इसके अलावा वह विधानसभा अध्यक्ष का पद पार्टी को देने के लिए कह सकती
है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस और भाजपा की अग्रिम पंक्ति के नेता एवं केंद्रीय मंत्री
नितिन गडकरी के नागपुर क्षेत्र में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। नागपुर जिले की 12 सीटों
में भाजपा को छह, कांग्रेस को चार, राकांपा को एक और एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार को मिली है।
नागपुर शहर और नागपुर ग्रामीण दोनों ही सीटें कांग्रेस के खाते में गयी है। वर्ष 2014 के विधानसभा
चुनाव में नागपुर जिले की 12 सीटों में भाजपा ने 11 सीटें हासिल की थी।