कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने विश्वविद्यालयों में कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति को लेकर विवाद के बीच एक अन्य सरकारी विश्वविद्यालय में अंतरिम कुलपति नियुक्त किया है।
ये विश्वविद्यालय कई महीनों से नेतृत्व की कमी से जूझ रहे हैं।
बोस ने मंगलवार रात नव स्थापित कन्याश्री विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति के रूप में प्रोफेसर काजल डे के नाम की घोषणा की।
उनकी यह घोषणा, पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उन पर तीखे हमले किए जाने के कुछ ही घंटों बाद आई। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने उन पर राज्य की शिक्षा प्रणाली में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था और धमकी दी थी कि अगर राज्यपाल ऐसे ही काम करना जारी रखेंगे तो वह राजभवन के बाहर धरने पर बैठेंगी।
राजभवन ने एक बयान में कहा, ”माननीय कुलाधिपति ने आज प्रोफेसर काजल डे को कन्याश्री विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल का कुलपति (कार्यवाहक) नियुक्त किया।”
काजल डे, बोस द्वारा नियुक्त किए जाने के बाद से मार्च से डायमंड हार्बर महिला विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहीं थीं। वह नेताजी सुभाष ओपन यूनिवर्सिटी में गणित की प्रोफेसर थीं।
रविवार रात बोस ने प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी, एमएकेएयूटी और बर्दवान यूनिवर्सिटी सहित सात विश्वविद्यालयों के कार्यवाहक कुलपतियों की नियुक्ति की।
इस मामले को लेकर बोस पर हमला करते हुए बनर्जी ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि राज्य द्वारा नियुक्त खोज समिति की अनदेखी करके राज्यपाल अपनी इच्छा के अनुसार अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कुलपतियों को पांच सदस्यीय खोज समिति द्वारा सुझाए गए नामों में से चुना जाना चाहिए। बनर्जी ने आरोप लगाया कि बोस समिति के सुझावों की परवाह किए बिना अपनी इच्छा से लोगों को नियुक्त कर रहे हैं।
उन्होंने ”जैसे को तैसा” के रूप में कार्रवाई का वादा किया और राज्यपाल के निर्देशों का पालन करने वाले सभी विश्वविद्यालयों का कोष रोकने की धमकी दी। उन्होंने कहा था, ”मैं भी देखती हूं कि आप इन कुलपतियों को वेतन कैसे देते हैं।”