आगरा। आगरा के ताजमहल को लेकर जो विवाद छिड़ा हुआ है, उसका असर राजस्व पर भी दिखने लगा है। हालांकि, अभी भी देशभर में सबसे ज्यादा राजस्व ताजमहल से ही भारत सरकार को मिलता है, लेकिन बीते तीन सालों में इसमें काफी गिरावट देखने को मिली है।
मार्च में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कहा था कि ताजमहल के प्रवेश शुल्क के जरिये मिलने वाले राजस्व में हाल के वर्षों में भारी गिरावट हुई है। मंत्रालय ने कहा कि 2013-14 में ताजमहल से राजस्व के रूप में 21.8 करोड़ रुपए, 2014-15 में 21.2 करोड़ रुपए और 2015-16 में 17.8 करोड़ रुपए राजस्व मिला।
हालांकि, यह अभी भी देश के अन्य मुगल स्मारकों को देखते हुए ताजमहल से सबसे ज्यादा राजस्व मिल रहा है।ताजमहल को लेकर खड़े हो रहे विवाद से इसका कोई भला नहीं होगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक विरासत की सूची से ताजहमल को निकाल दिया है।
जुलाई में पेश किए गए सालाना राज्य बजट में भी लाभ की सूची में ताज का नाम शामिल नहीं किया गया था। राज्य के अधिकारियों ने आगरा स्थित स्मारक को उत्तर प्रदेश के टूरिस्ट अट्रैक्शन यानी पर्यटकों की पसंदीदा जगह से भी इसे हटाकर एक और झटका दिया था।
बीते कुछ समय से इसके अस्तित्व को लेकर तूफान मचा हुआ है। सत्ताधारी भाजपा के कुछ नेता इसे शिव मंदिर तेजोमहालय होने की बात कह रहे हैं। वहीं, इसका लोकप्रिय इतिहास कहता है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने मुमताज महल की याद में इसे बनवाया था।
भारतीय उपमहाद्वीप, फारस और यूरोप के करीब 20,000 श्रमिकों ने 20 साल की कड़ी मेहनत के बाद वास्तुशिल्प के इस शानदार नमूने को तैयार किया था। इसकी भव्यता ऐसी है कि लगातार इसे दुनिया के सात आश्चर्यों में शामिल किया जाता रहा है। दुनिया भर से पर्यटकों की एक बड़ी संख्या इसे देखने के लिए आती है।