नई दिल्ली। भाकपा के महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने विपक्षी दलों के बीच विभिन्न राज्यों में पूर्वनियोजित तरीके से गठबंधन नहीं हो पाने के लिये कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर संदेह जताते हुये कहा है कि गठबंधन का फैसला कांग्रेस की प्रदेश इकाइयों पर छोड़ना राहुल गांधी का निर्णय सही नहीं रहा। रेड्डी ने बताया कि क्षेत्रीय परिस्थितियों के आधार पर राज्यों में गठबंधन की योजना परवान नहीं चढ़ पायी क्योंकि राहुल गांधी संबद्ध राज्य के क्षेत्रीय दलों को विपक्ष की एकजुटता की अहमियत सही तरीके से नहीं समझा पाये। उन्होंने सपा, बसपा और राजद सहित अन्य क्षेत्रीय दलों में राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देने की सोच की कमी को भी गठबंधन नहीं हो पाने में नाकामी की दूसरी वजह बताया। उल्लेखनीय है कि बिहार में शुक्रवार को घोषित महागठबंधन में वामदलों को जगह नहीं दी गयी।
इसी तरह पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस के साथ वामदलों के गठबंधन की बात नहीं बन पायी। विपक्षी दलों की एकजुटता की रणनीति कारगर नहीं हो पाने से चुनाव में भाजपा को लाभ मिलने की आशंका के सवाल पर रेड्डी ने कहा, ‘‘इससे विपक्षी दलों के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पूरे देश में मोदी और भाजपा के खिलाफ जनमानस बन गया है। विपक्षी दल भी भाजपा के विरोध में हैं, लेकिन इस विरोध को भाजपा की चुनावी हार में तब्दील करने के लिये जो समझौता, त्याग एवं तालमेल की जरूरत है, उसकी पूर्ति के लिये कांग्रेस सहित क्षेत्रीय दल तैयार नहीं है।’’ यह पूछे जाने पर कि विपक्षी एकजुटता का लक्ष्य हासिल करने में कांग्रेस, सपा और राजद सहित अन्य दलों का नेतृत्व कर रहे दूसरी पीढ़ी के नेताओं में क्या दूरगामी राजनीतिक समझ का अभाव है, रेड्डी ने कहा, ‘‘राहुल गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेख यादव और राजद नेता तेजस्वी यादव चुनाव से पहले, व्यापक फलक पर भाजपा विरोधी मोर्चा खड़ा करने में नाकाम रहे।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सहित अन्य क्षेत्रीय दल, राष्ट्रीय हित समझ पाने में नाकाम रहे जिसका नतीजा उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और पश्चिम बंगाल जैसे अहम राज्यों में सीटों के बंटवारे संबंधी बातचीत की विफलता के रूप में सामने आया है। रेड्डी ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाना चाहिये। सपा, बसपा और राजद सहित अन्य दल भी इस नाकामी के लिये जिम्मेदार हैं। मेरा मानना है कि इसके लिये इन दलों का नेतृत्व जिम्मेदार है क्योंकि इन पर क्षेत्रीय एजेंडा और संकुचित सोच हावी रही। ये सभी दल भाजपा विरोधी तो हैं लेकिन सीटों के तालमेल में सामंजस्य और समझौते के लिये तैयार नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और तमाम उपचुनाव में हारने के बाद भाजपा के ‘बैकफुट’ पर होने के बावजूद भगवा ब्रिगेड के खिलाफ विपक्षी दल एकजुट होकर चुनाव मैदान में नहीं उतर पा रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। अभी भी समय है। कांग्रेस को इसके लिये और अधिक संजीदगी के साथ प्रयास करना चाहिये। भविष्य की रणनीति के सवाल पर वरिष्ठ वामपंथी नेता ने कहा कि अब चुनाव के बाद गठबंधन ही एकमात्र उम्मीद है। रेड्डी ने चुनाव परिणाम आने पर विपक्षी दलों के एकजुट होने का भरोसा दिलाते हुये कहा कि भाजपा दोबारा सरकार नहीं बनायेगी।