कोलकाता। अंदरूनी कलह और पश्चिम बंगाल में भाजपा के बढ़ते जनाधार के बीच सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आंतरिक कलह के खिलाफ व्हिप जारी करने और अगले साल के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी संगठन को पुनर्गठित करने का फैसला किया है। तृणमूल के वरिष्ठ नेताओं ने नाम ना बताने की शर्त के साथ कहा कि हाल के समय में राज्य मंत्रिमंडल तथा कुछ स्थानीय निकायों में फेरबदल इस बात का संकेत है कि पार्टी विभिन्न स्तरों पर संगठनात्मक बदलाव की योजना बना रही है।
भाजपा पश्चिम बंगाल में अपने पैर जमा रही है। हाल में हुए उपचुनाव और पंचायत चुनाव के नतीजे राज्य की राजनीति में बदलते समीकरण की ओर इशारा करते हैं। भाजपा इन चुनावों में तृणमूल कांग्रेस की मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी। ।तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, पार्टी की दो आयामी रणनीति है। जिसमें विभिन्न विभागों के बोझ से दबे मंत्रियों से कुछ जिम्मेदारियां ली जाएंगी। दूसरा जो नेता जिला अध्यक्ष और राज्य में मंत्री दोनों हैं उन्हें इन दोनों में से एक जिम्मेदारी का चुनाव करना होगा हालांकि अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले कुछ नेताओं के लिए इसमें गुंजाइश भी होगी।
तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘कुछ जिलों खासतौर से जंगलमहल में प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं है। हालांकि हमने वहां जिला परिषद की ज्यादातर सीटें जीती हैं लेकिन हमने उन सीटों को गंवाया भी जो नहीं गंवानी चाहिए थी।’’ चुनाव परिणाम आने के दो सप्ताह के भीतर तीन मंत्रियों को उनके पदों से इस्तीफा देने और पार्टी के संगठनात्मक काम पर ध्यान देने के लिए कहा गया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था, ‘‘सभी तीनों मंत्रियों को पार्टी के संगठनात्मक काम पर ध्यान देने के लिए कहा गया है।’’ राज्य पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी समेत चार अन्य मंत्रियों के विभागों में भी फेरबदल किया गया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक , अगले साल के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर जिला नेतृत्व के विभिन्न स्तरों पर युवा नेताओं को तरजीह दी जाएगी। सूत्रों ने बताया कि तृणमूल युवा कांग्रेस के नेताओं को उनकी योग्यता के अनुसार काम दिया जाएगा। जो तकनीक के अच्छे जानकर होंगे पार्टी उनका ‘‘भ्रामक’’ सोशल मीडिया अभियान का जवाब देने में इस्तेमाल करेगी।