लखनऊ। अपने बच्चों की खातिर माता-पिता किसी भी हद तक जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक किसान अपने लापता बेटे गोदना की तलाश में 1500 किमी से अधिक दूरी का सफर साइकिल से तय कर चुका है। मगर, अभी तक उसे कोई सफलता नहीं मिली है।
वह अपने बेटे की एक तस्वीर लेकर हर राहगीर से पूछते हैं कि क्या उन्होंने गोदना को कहीं देखा है। सतीश चंद का 11 वर्षीय बेटा गोदना 24 जून को लापता हो गया था। वह स्कूल जाने के लिए निकला था, लेकिन फिर वापस घर नहीं लौटा। तब सतीश ने उसे तलाश करना शुरू किया। चार दिनों तक जब गोदना नहीं मिला, तो सतीश आखिरकार 28 जून को पुलिस स्टेशन पहुंचे।
मगर, अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर दिया, यहां तक कि गुमशुदगी की शिकायत तक दर्ज करने से इंकार कर दिया। बार-बार अनुरोध करने पर उन्होंने सतीश की शिकायत पर स्टांप लगाकर उसे घर जाने को कह दिया। मगर, सतीश पुलिस के भरोसे ही बैठे नहीं रहना चाहते थे और उन्होंने खुद गोदना को तलाश करने का फैसला किया।
हालांकि, अधिकारियों ने उससे कहा कि वे घर पर ही बेटे का इंतजार करें क्योंकि यदि वे बाहर चले गए, तो उनका बेटा उनसे संपर्क कैसे करेगा। मगर, सतीश कहते हैं कि गोदना लर्निंग डिफिकल्टीज यानी सीखने की समस्या से ग्रस्त है। लिहाजा उसकी तलाश करना आसान नहीं है। ऐसे में सतीश उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में बेटे की तलाश के लिए बीते पांच महीनों में 1500 किमी तक साइकिल से यात्रा कर चुके हैं।
वह रास्ते में मिलने वाले हर राहगीर को बेटे की तस्वीर दिखाकर पूछते हैं कि क्या उन्होंने गोदना को देखा है। मगर, अभी तक उन्हें अपना बेटा नहीं मिला है। सतीश के पास न तो ज्यादा पैसे हैं और न ही संसाधन। फिर भी वह अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। उम्मीद करते हैं कि सतीश की यह तलाश जल्द पूरी होगी और उन्हें अपना बेटा मिल जाएगा।