रोचक: यहां जारी हुई एडवायजरी, खूंखार कुत्तों से हो सामना तो ऐसे बचें

asiakhabar.com | November 4, 2017 | 12:23 pm IST
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श्रीनगर। श्रीनगर नगर निगम संभवतः देश की पहली स्थानीय संस्था बन गई है, जिसने आवारा कुत्तों पर काबू करने की बजाए उनसे बचाव की जिम्मेदारी नागरिकों पर ही डाल दी है। पिछले तीन सालों में 16 हजार से ज्यादा लोगों को काट चुके श्रीनगर के आवारा कुत्तों से बचाव के लिए ननि ने अखबारों में विज्ञापन देकर एडवायजरी जारी की है।

इसमें हमलावर कुत्तों की पहचान, यदि वे घेर लें तो बचाव के तरीके आदि शामिल हैं। सबसे रोचक सलाह है, ‘यदि कुत्ते घेर लें तो आप भागें नहीं, उनसे नजरें न मिलाएं, अपने दोनों हाथ सीने से चिपका कर खड़े हो जाएं, ताकि वह वे आपको पास आकर सूंघ लें, इसके बाद उनकी आपमें रुचि खत्म हो जाएगी।’

बहरहाल ननि की यह पहल सोशल मीडिया में मजाक का सबब बन गई है।

न भागें, न चिल्लाएं, सीधे खड़े रहें

  • विज्ञापन में परामर्श दिया गया है कि कोई आक्रामक कुत्ता सामने आ जाए तो भागें नहीं, उस पर चिल्लाएं नहीं।
  • सीधे खड़े रहें, हाथों को मोड़कर सीने पर रखें। कुत्ते की बजाय कहीं ओर देखें।
  • बिलकुल नहीं घबराएं, कुत्ते को आपके चारों ओर सूंघने दें।
  • इन उपायों से उसकी दिलचस्पी आपमें खत्म हो जाएगी, वह चला जाएगा।
  • आक्रामक कुत्ते पहचान यह है कि उसकी नाक सिकुड़ी हुई होती है जिससे उसके दांत दिखने लगते हैं।
  • गर्दन के पीछे के उसके लंबे बाल खड़े हो जाते हैं। लंबी रीढ़ की हड्डी दिखती है।
  • उसके कान पीछे की ओर मुड़े होते हैं। वह गुर्राता है या गुर्रा सकता है।

बच्चे कैसे करेंगे हड़किए कुत्तों की पहचान

श्रीनगर नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी जावेद राठेर ने कुत्तों से बचाव के ये उपाय बताए हैं। उन्होंने कहा कि चार से नौ साल के बच्चे कुत्तों के काटने के ज्यादा शिकार होते हैं, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि इतने छोटे बच्चे काटने वाले या हड़किए (पागल) कुत्तों की पहचान व उनके व्यवहार को कैसे भांप सकेंगे, जबकि श्रीनगर के हर हिस्से में आवारा कुत्तों के झुंड नजर आते हैं।

हालांकि ननि की यह सलाह उचित प्रतीत होती है कि अभिभावक भी सतर्क रहें और अपने बच्चों को उन आसपास के क्षेत्रों में अकेला न जाने दें, जहां कुत्तों का झुंड घूमता हो। पशु वैज्ञानिकों की राय है आधार श्रीनगर ननि के पशु चिकित्सा अधिकारी राठेर ने बड़ी खोज-बीन की है। उन्होंने वैज्ञानिक जांच और दुनियाभर के पशुचिकित्सकों के तथ्यों के अनुभव के आधार पर यह एडवाइजरी बनाई है।


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