नई दिल्ली/मुंबई। एक तरफ भीमा-कोरेगांव हिंसा की आग में पूरा महाराष्ट्र झुलस रहा है, दूसरी तरफ इस मुद्दे पर संसद में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। गुरुवार को भी राज्यसभा में कांग्रेस सांसद रजनी पाटिल द्वारा महाराष्ट्र हिंसा का मुद्दा उठाया गया। वहीं समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने कार्रवाई की मांग की। साथ ही इस पूरे मामले पर रिपोर्ट के लिए एक कमीशन के गठन की भी बात रखी।
दूसरी तरफ, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने घटना से संबंधित रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी है। इसमें प्रशासनिक स्तर पर चूक को इसके लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है।
कांग्रेस व विपक्ष ने जोर-शोर से उठाया मामला –
इससे पहले महाराष्ट्र में जारी जातीय हिंसा का मुद्दा बुधवार को भी संसद के दोनो सदनों में छाया रहा। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्यसभा और लोकसभा में इस मुद्दे को जोर शोर से उठा कर वाहवाही लूटने की पूरी कोशिश की।
कांग्रेस की तरफ से महाराष्ट्र की हिंसा के लिए भाजपा, आरएसएस को जिम्मेदार ठहराते हुए इस मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी से जवाब देने की मांग की गई। दूसरी तरफ भाजपा ने भी पलटवार करते हुए कांग्रेस को अंग्रेजों की तरह ‘बांटो और राज करो’ की नीति अपनाते हुए देश को जातिगत आधार पर बांटने का आरोप लगाया। दोनों सदनों की कार्यवाई को कई बार रोकनी पड़ी और अंतत: दिन भर के लिए स्थगित भी कर दिया गया।
वहीं राज्य सभा में कांग्रेस व बसपा ने इस मुद्दे को उठा कर बाजी मारने की पूरी कोशिश की। यहां भी शून्य काल शुरु होते हुए बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद व कई विपक्षी सांसदों ने मामले पर बोलने की इजाजत मांगी। मिश्रा ने भी फासिस्ट ताकतों पर दलितों का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। राज्य सभा को भी कई बार स्थगित करना पड़ा।
यह है मामला –
बता दें कि सोमवार को महाराष्ट्र के पुणे के पास आयोजित होने वाले भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस प्रेरणा अभियान के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। उस समय तकरीबन तीन लाख दलित 200 साल पहले हुए एक युद्ध में मारे गए दलितों की याद में एकत्रित हुए थे। वहीं पर स्थानीय ग्रामवासियों और बाहर से आई भीड़ के बीच हिंसक झड़पें हुई थी।