चेन्नई। चुनावों में पारदर्शिता और सुधार लाने के लिए जिस एक शख्स का नाम हमेशा याद रहेगा, वो हैं पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन। मगर चुनाव आयोग को ताकतवर संस्था में बदलने वाले शेषन आज गुमनामी की जिंदगी जी रही हैं।
शेषन आज अकेले चेन्नई के अपने फ्लैट में रहते हैं और वक्त मिलते ही शहर से पचास किलोमीटर दूर एक ओल्ड एज होम में रहने चले जाते हैं।
चुनाव आयोग को बनाया ताकतवर-
शेषन ने नब्बे के दशक में चुनाव आयोग की कमान संभाली थी, तब बिहार में चुनाव कराना बड़ी चुनौती होती थी। चुनाव में हिंसा, बूथ कैप्चरिंग और कई तरह की दूसरी गड़बड़ियों के मामले लगातार आते थे। शेषन ने इसे चुनौती मानते हुए बदली हुई रणनीति के तहत बिहार में चुनाव प्रक्रिया पूरी कराई।
बिहार चुनाव से बदली फिजा-
शेषन ने बिहार में बूथ कैप्चरिंग रोकने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारों का सख्ती से इस्तेमाल किया और तब के बिहार के कद्दावर नेता लालू यादव से सीधा लोहा लिया। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने देश में साफ-सुथरे चुनाव कराने की शुरुआत की। इसके लिए उन्होंने किसी राज्य में एक साथ वोटिंग कराने के बाद अलग-अलग चरणों में वोटिंग कराने की शुरुआत की। बिहार में ये फॉर्मूला काम कर गया और वहां चुनावों में होने वाली गड़बड़ी को रोकने में काफी मदद मिली।
बतौर मुख्य चुनाव आयुक्त शेषन अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव में नहीं रहे और हमेशा निष्पक्ष चुनाव कराने के एजेंडे पर काम करते है।
शेषन सत्य साईं बाबा के भक्त रहे हैं। 2011 में साईं बाबा के शरीर त्यागने के बाद से ही वो सदमे में चले गए थे। उन्हें भूलने की बीमारी हो गई थी। इसे देखते हुए उनके करीबियों ने चेन्नई के एक बड़े ओल्ड एज होम में शिफ्ट कर दिया। मगर ठीक होने के बाद वो फ्लैट में रहने चले आए।