जालंधर। भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख डॉ. जी.सतीश रेड्डी ने देश की रक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए रक्षा क्षेत्र में अधिक अनुसंधान की जरूरत बतायी है। उनका कहना है कि हथियार व अन्य रक्षा उपकरण को आधुनिक परिवेश में ढ़ालने और उनका व्यापक स्तर पर निर्माण करने की जरूरत है। डॉ. रेड्डी जालंधर के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में आयोजित पांच दिवसीय साइंस कांग्रेस के दूसरे दिन सामूहिक सत्र को संबोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच दिवसीय साइंस कांग्रेस का उद्घाटन किया था। डॉ. रेड्डी, जिन्हें ‘राकेट मैन’ कहा जाता है, ने डीआरडीओ की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि भारत में ही पूर्ण रूप से विकसित की गई ‘अग्नि’ और ‘आकाश’ मिसाइलों से देश की शान बढ़ी है और हम इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुए हैं।
मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का स्मरण करते हुए उन्होंने बताया कि देश में अनुसंधान प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने के लिए पिछले वर्ष उनके जन्मदिन (15 अक्टूबर) पर नए स्वपन देखने का साहस अर्थात “डेयर टू ड्रीम” प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। उन्होंने डीआरडीओ के अधीन चल रही 52 साइंटिफिक प्रयोगशालाओं और वहां काम कर रहे 5200 वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कहा किअब हम रक्षा प्रणाली को लेकर बहुत आश्वस्त हैं। डॉ. समीर वी कामत ने इस अवसर पर कहा भविष्य में रक्षा की तकनीकी को और ज्यादा सुदृढ़ करने की जरूरत है। उन्होंने ऐरो प्रोडक्ट मटीरियल्स, नॉवल हुल मटीरियल और हाइपरसोनिक मिसाइलों का विशेष रूप से उल्लेख किया। डॉ. ए. के. सिंह ने लाइफ साइंसेस में लैंड स्केपिंग के महत्व पर चर्चा की और मैन से मॉलिक्यूल तक के सफर का जीवंत चित्रण किया। लवली यूनिवर्सिटी के श्रीमती शांति देवी आडिटोरियम में आयोजित भारत की 106 वी इंडियन साइंस कांग्रेस के इस सेशन में डॉ. रेड्डी के अतिरिक्त डीआरडीओ के नॉवल सिस्टम और मैटेरियल्स के डायरेक्टर जनरल डॉ. समीर वी. कामत और डीआरडीओ के डायरेक्टर जनरल (लाइफ साइंसेस) डॉ. ए. के. सिंह, डीआरडीओ के डायरेक्टर जनरल गुरु प्रसाद के साथ यूनिवर्सिटी के उप कुलपति अशोक मित्तल ने भी संबोधित किया।