लखनऊ। पंजाब सरकार ने भले ही अपने विधायकों और मंत्रियों का आयकर जमा न करने का फैसला किया परंतु उत्तर प्रदेश के विधायकों व मंत्रियों को इसकी जरूरत नहीं क्योंकि उनका मूल वेतन आयकर सीमा में नहीं आता। विधायक को भले ही प्रत्येक माह सवा लाख रुपये मिलते हों परंतु मूल वेतन मात्र 25 हजार रुपये है। ऐसे में विधायकों का सालाना वेतन आयकर के दायरे में आने से बच जाता है।
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि विधायक और मंत्रियों का वेतन आयकर सीमा में नहीं आता इसलिए सरकार के भुगतान करने का प्रश्न ही उठता।
बता दें कि पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार ने अपने कार्यकाल में दो बार विधायकों के भत्ते आदि में वृद्धि की थी। इसके चलते प्रत्येक विधायक प्रति माह लगभग सवा लाख रुपये सरकारी खजाने से प्राप्त करता है। गत अगस्त 2016 में तत्कालीन संसदीय कार्यमंत्री आजम खान ने उत्तर प्रदेश राज्य विधानमंडल सदस्यों की उपलब्धियां और पेंशन संशोधन विधेयक 2016 में विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने के कई प्रावधान किए थे। वेतन और भत्तों को मिलाकर प्रत्येक विधायक को लगभग एक लाख 25 हजार रुपये प्रतिमाह मिल रहे हैं।
आजम ने रेलवे कूपन, डीजल व हवाई यात्रा के पैसों में भी बढ़ोतरी की थी। इसके अलावा पूर्व विधायकों के पेंशन में भी बढ़ोतरी की गई थी। पेंशन ढाई गुना बढ़ा कर दस हजार से 25 हजार रुपये महीने की गयी। गत फरवरी 2015 के मुकाबले विधायकों का वेतन 125 गुना बढ़ा परंतु आयकर की सीमा से बाहर ही रहा। इसी तरह मंत्रियों को भी तमाम सुविधाएं हैं और उन्हें विधायकों से अधिक वेतन मिलता है लेकिन वह भी आयकर की परिधि से बाहर हैं।
विधायकों की सुविधाएं
– रेलवे कूपन पर साथ में किसी को ले जाने की सीमा नहीं।
-18 हजार के बजाय 25 हजार रुपये महीने कूपन का नगद ले सकेंगे
– पूर्व विधायकों को 80 हजार के बजाए एक लाख का वार्षिक रेल कूपन।
– रेलवे कूपन में 50 हजार वार्षिक डीजल मद में नकद ले सकेंगे।
– हर साल दो हजार महीने बढ़ेगी पूर्व विधायकों की पेंशन।