यूपी में दरोगा के इस्तीफे के बाद ट्विटर पर छिड़ी जंग

asiakhabar.com | January 20, 2018 | 5:26 pm IST
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लखनऊ। मेरठ के बाद अब मथुरा में प्रशिक्षु दारोगा अश्विन कुमार के इस्तीफा देने के साथ ही पुलिस में लंबी ड्यूटी के बाद भी छुट्टी की व्यवस्था न होने व विभागीय अव्यवस्था के सवाल और गहरा गए हैं। दोनों ही प्रशिक्षु दारोगा 2011 बैच के हैं। अश्विन के इस्तीफे को लेकर तो ट्विटर पर वैचारिक जंग छिड़ चुकी है।

आईजी लोक शिकायत विजय सिंह मीना का कहना है कि प्रशिक्षु दारोगा ने किन कारणों से इस्तीफा दिया, इसकी राजपत्रित अधिकारी से जांच कराई जा रही है। अभी कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता।

मेरठ में तैनात प्रशिक्षु दारोगा अजीत सिंह ने 28 दिसंबर 2017 को ड्यूटी का कोई शेड्यूल न होने से परेशान होकर इस्तीफा दिया था। दिल्ली पुलिस में सिपाही रहे अजीत ने लंबी ड्यूटी व समय पर छुट्टी न मिलने की वजह से स्वास्थ्य बिगड़ने व तीन माह में ही 12 किलो वजह घटने की बात कही थी।

अब मथुरा के मांट थाने में तैनात प्रशिक्षु दारोगा अश्विन ने त्यागपत्र में खुद को पुलिस विभाग के हिसाब से ढलने में असमर्थ होने की बात कही है। जो साफ विभागीय अव्यवस्था की ओर इशारा करती है। अश्विन ने त्यागपत्र के साथ कुछ सुझाव भी दिए हैं। हालांकि उन्हें लेकर पुलिस अधिकारी चुप्पी साधे हैं।

दूसरी ओर सोशल मीडिया पर यह मुद्दा गरमाता जा रहा है। ट्विटर पर अश्विन के इस्तीफे को लेकर एक डॉक्टर ने लिखा है कि “यूपी पुलिस के एक और एसआइ ने व्यवस्था से हारकर नौकरी से मुंह मोड़ा, डीजीपी साहब आखिर पुलिस वाले भी इंसान हैं। इनको भी तो परिवार व आराम की जरूरत है”।

डीजीपी के पीआरओ एएसपी राहुल श्रीवास्तव ने ट्वीट किया है कि “प्रिय अश्विन। व्यथित होकर इस्तीफा देना समस्या का हल नहीं है। असली चुनौती व्यवस्था के अंदर रहकर सुधार करने और लोगों को प्रेरित करने में है। हतोत्साहित होना समाधान नहीं है। हम सभी को मिलकर लड़ना होगा। जय हिद”। कई लोगों ने पुलिस में भ्रष्टाचार को लेकर भी बड़े सवाल उठाए हैं।

डीजीपी के आदेश के बाद भी छुट्टी नहीं

वर्ष 2013 में पुलिस में साप्ताहिक अवकाश को लेकर पहल व वृहद सर्वे के बाद डीजीपी मुख्यालय ने हर पुलिसकर्मी को दस की ड्यूटी के बाद एक दिन विश्राम अवकाश दिए जाने का आदेश जारी किया था। पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने अपने कार्यकाल में इस निर्देश को अनुपालन कराने पर जोर दिया था, लेकिन अधीनस्थ अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया।


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