महाभियोग प्रस्ताव: सिब्बल ने कहा, प्रशासनिक आदेश की प्रति पाना मेरा अधिकार

asiakhabar.com | May 8, 2018 | 5:00 pm IST
View Details

नयी दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस खारिज होने को चुनौती देने वाली याचिका वापस लेने के बाद वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रशासनिक आदेश की प्रति हासिल करना उनका संवैधानिक अधिकार है और प्रति मिलने के बाद ही वह आगे के कदम के बारे में फैसला करेंगे। सिब्बल ने यह भी कहा कि यह मामला राजनीतिक नहीं है और यह सिर्फ न्यायपालिका की स्वायत्तता और स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘कल हमने याचिका दायर की थी और हम यही चाहते थे कि इस पर सुनवाई होनी चाहिए। कल शाम पता चला कि हमारी याचिका पर पांच न्यायधीशों की पीठ सुनवाई करेगी। हमें पता नहीं किसने यह तय किया।’ सिब्बल ने कहा कि उन्होंने आज सुबह न्यायालय के समक्ष सात सवाल किए। इनमें एक सवाल यह था कि पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई का आदेश किसने पारित किया?

उन्होंने कहा, ‘हम जानना चाहते थे कि पांच न्यायाधीशों वाली पीठ को मामला भेजने का प्रशासनिक आदेश किसने पारित किया? यह जानना हमारा संवैधानिक अधिकार है।”।सिब्बल ने कहा, ‘हमसे कहा गया कि हम मामले की मेरिट पर बहस करें लेकिन हमने कहा कि प्रशासनिक आदेश की प्रति मिले बिना हम कैसे बहस कर सकते हैं? आदेश की प्रति देने के बारे में कुछ नहीं बताया गया। फिर हमने अपनी याचिका वापस ले ली।” सिब्बल ने कहा कि हमें किसी के खिलाफ निजी शिकायत नहीं है। हम सिर्फ न्यायालय की गरिमा, स्वायत्तता और स्वतंत्रता बनाये रखना चाहते हैं।उन्होंने कहा, ‘सरकार आरोप लगा रही है कि हम किसी के खिलाफ हैं और मामला राजनीतिक है। मैं पूछना चाहता हूं कि इसमें क्या राजनीति है। हम न्यायपालिका में विश्वास बनाये रखना चाहते हैं। इसीलिए हमने यह कदम उठाया।”।उन्होंने कहा कि प्रशासनिक आदेश की प्रति मिलने के बाद आगे के कदम के बारे में विचार करूंगा।यह पूछे जाने कि अगर प्रशासनिक आदेश की प्रति नहीं मिली तो फिर क्या विकल्प है तो उन्होंने कहा, ‘आखिर प्रति क्यों नहीं मिलेगी? बिल्कुल मिलेगी।’
गौरतलब है कि राज्यसभा के सभापति द्वारा प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग नोटिस खारिज किये जाने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने वाले कांग्रेस के दोनों सांसदों ने आज अपनी यचिका वापस ले ली है। राज्यसभा के सभापति एम . वेंकैया नायडू ने राज्यसभा सदस्यों की ओर से दिये महाभियोग नोटिस को यह कहते हुए नोटिस खारिज कर दिया था कि न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ किसी प्रकार के कदाचार की पुष्टि नहीं हुई है। ऐसा पहली बार हुआ था जब मौजूदा प्रधान न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए नोटिस दिया गया हो। न्यायमूर्ति ए. के. सिकरी, न्यायमूर्ति सिकरी के अलावा न्यायमूर्ति एस.ए. बोबड़े , न्यायमूर्ति एन. वी. रमण , न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति ए. के. गोयल की संविधान पीठ ने 45 मिनट की सुनवाई के बाद याचिका को वापस लिया बताकर उसे खारिज कर दिया था। ।इससे पहले सुनवाई के दौरान सिब्बल ने सवाल किया था कि मामले की सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की पीठ गठित करने का आदेश किसने दिया। सिब्बल ने कहा कि, मामला प्रशासनिक आदेश के जरिए पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया, प्रधान न्यायाधीश इस संबंध में आदेश नहीं दे सकते हैं। उन्होंने उच्चतम न्यायालय से कहा कि उन्हें पीठ के गठन संबंधी आदेश की प्रति चाहिए, संभवत: वह इसे चुनौती देने पर विचार कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *