भोपाल। मध्य प्रदेश में केारेाना संक्रमण की रफ्तार लगातार धीमी पड़ती जा रही है, मगर आम
आदमी की जिंदगी सामान्य होने में अभी कुछ और वक्त लगेगा। कोरोना कर्फ्यू आने वाले 15 जून तक जारी
रहेगा, उसके बाद ही पूरी तरह इसे हटाया जा सकता है। राज्य में कोरोना कफ्र्य मंे एक जून से रियायत दी गई
है, मगर पूरी तरह जिंदगी सामान्य नहीं हुई है। आवश्यक सेवाएं चालू है, दूध से लेकर किराना की दुकानें तय
समय के लिए खुल रही है। हालांकि, पूरे बाजार नहीं खुल रहे है, शिक्षण संस्थान पूरी तरह बंद है, मॉल, सिनेमाघर
से लेकर सार्वजनिक, धार्मिक आयोजनों पर रोक है। नगर परिवहन सेवाएं बंद चल रही है। पिछले कुछ दिनों में
संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ने से सरकार और आमजन राहत महसूस कर रहे है। राज्य के स्थिति पर गौर करें तो
पॉजिटिविटी रेट एक प्रतिषत से कम अब घटकर 0.8 प्रतिशत हो गया है। प्रदेश के पाँच जिले ऐसे हैं, जिनमें बीते
कोरोना का एक भी प्रकरण नहीं आया। इंदौर, भोपाल और जबलपुर में कोरोना के प्रकरण जरूर सामने आ रहे है।
आम तौर पर माना जाता है कि पाँच प्रतिशत से कम पॉजिटिविटी दर होती है तो कोरोना संक्रमण नियंत्रण में है,
जबकि राज्य में 0.8 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पॉजिटिविटी दर में गिरावट
आने के बावजूद लोगों से सावधानी बरतने को कहा है। उन्होंने कहा, ग्राम, वार्ड, नगर और जिलों की क्राइसिस
मैनेजमेंट कमेटियाँ अनलॉक की प्रक्रिया में पूरी सतर्कता बरत रही हैं। हमें कोविड अनुकूल व्यवहार अर्थात मास्क
लगाना, दूरी बनाए रखना, बार-बार हाथ साफ करना आदि को अपनी आदत में शामिल करना होगा। दुकानदारों को
भी दूरी बनाये रखने, दुकानों पर भीड़ नहीं लगने देने जैसी सावधानियों को अपनाना होगा। मुख्यमंत्री चौहान ने
कहा, प्रदेश में प्रतिदिन 75 हजार से 80 हजार तक टेस्ट कराए जायेंगे। हमारी कोशिश यह है कि किसी भी हिस्से
में यदि संक्रमित व्यक्ति मिले तो उसकी पहचान तत्काल कर ली जाये। उन्हें अवश्यकतानुसार होम आयसोलेट कर
अथवा कोविड केयर सेंटर में ले जाकर जरूरी इलाज आरंभ किया जाए। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, हमारी कोशिश
यह है कि पूरी सावधानी रखी जाए, जिससे रोजगार और व्यापार भी चले और कोरोना संक्रमण भी नियंत्रण में रहे।
मुझे पूरा विश्वास है कि प्रदेश की जनता का सहयोग लगातार मिलता रहेगा। 15 जून तक कोरोना कर्फ्यू लागू
रहेगा, इसमें आवश्यकतानुसार छूट दी जाएगी। कोरोना के संक्रमण के चलते अप्रैल और मई माह में हाल यह हेा
गए थे कि मरीजों को अस्पताल में बिस्तर नहीं मिल रहे थे, ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ रहा था। इतना ही
नहीं रेमडेसीविर इंजेक्षन के नाम पर लूट मच गई थी। अब स्थितियां पहले से बेहतर हुई है।