रूद्रप्रयाग। उत्तराखंड के मदमहेश्वर धाम में भारी बारिश के कारण पुल बहने से वहां फंस गए श्रद्धालुओं को बाहर निकालने का काम बुधवार को फिर शुरू हो गया और हैलीकॉप्टर के जरिए सुबह से 70 और श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।
एक अधिकारी ने बताया कि अब तक 122 लोगों को मदमहेश्वर से सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। इससे पहले, मंगलवार शाम तक 52 श्रद्धालुओं को बाहर निकाला गया था।
सोमवार सुबह अतिवृष्टि के कारण 11,473 फुट की उंचाई पर स्थित मदमहेश्वर पैदल मार्ग पर बणतोली में गौंडार पुल टूटने तथा वहां पहुंचने वाले मार्ग का एक हिस्सा ध्वस्त होने से वहां 225.250 श्रद्धालु फंस गए थे।
उखीमठ के उपजिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा ने बताया कि राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) की मदद से मंगलवार पूरे दिन अभियान चलाकर शाम तक 52 श्रद्धालुओं को बाहर निकाल लिया गया था।
नदी का जलस्तर बढ़ा होने तथा वहां पहुंचने वाली सड़क का एक भाग ध्वस्त होने के कारण श्रद्धालुओं को बचाने के अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य के लिए ‘रोप रिवर क्रासिंग मेथड’ का प्रयोग किया गया।
वर्मा ने कहा कि सुबह मौसम साफ होने पर हैलीकॉप्टर से बचाव अभियान शुरू किया गया और अभी तक 70 और लोगों को वहां से बाहर निकाल लिया है। उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक कुल मिलाकर 122 लोग बाहर निकल चुके हैं जबकि शेष को निकालने का काम जारी है।”
स्थिति को नियंत्रण में बताते हुए अधिकारी ने कहा कि प्रशासन ने 150.200 किलो राशन मदमहेश्वर मंदिर के पुजारी के पास पहुंचा दिया है जिससे वहां लोगों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि इसके अलावा एक मेडिकल तथा एक पुलिस टीम भी वहां तैनात की गयी है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि मदमहेश्वर मंदिर से तकरीबन छह.सात किलोमीटर नीचे नानू नामक स्थान पर स्थानीय लोगों व महिलाओं की मदद से वैकल्पिक व अस्थाई हैलीपैड तैयार किया गया ताकि हैलीकॉप्टर के जरिए बचाव कार्य चलाया जा सके।
हैलीपैड तक लोग पैदल पहुंच रहे हैं और वहां से उन्हें हैलीकॉप्टर द्वारा रांसी गांव तक छोड़ा जा रहा है जहां से वे सड़क मार्ग से वापसी कर रहे हैं। पंच केदार में से एक मदमहेश्वर धाम के दर्शन के लिए देश.विदेश से श्रद्धालु आते हैं। धाम के बारे में मान्यता है कि यहां पांडवों ने तपस्या की थी।