नई दिल्ली। मच्छर आसपास हो तो बहुत इरिटेशन होता है। उनका भिनभिनाना तो और भी गुस्सा दिलाता है लेकिन यही नहीं मच्छरों का काटना भी कम दिक्कत वाला नहीं है। मच्छरों को खतरनाक बनाने के पीछे होते हैं बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट्स जो कि बीमारियों का कारण बनते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, मच्छरों के काटने से हर साल दस लाख से ज्यादा मौते होती है और उनमें मौत का मुख्य कारण है मलेरिया। लेकिन केवल यही बीमारी जानलेवा नहीं है जो कि मच्छरों के काटने से होती है। यहा ऐसी बीमारियों के बारे में बता रहे हैं जो कि मच्छरजनित हैं:
1. मलेरिया: एक पैरासाइट प्लासमोडियम के कारण, यह रोग संक्रमित एनोफेलीज मच्छरों के काटने के माध्यम से फैलता है। ये पैरासाइट्स लिवर में बढ़ते जाते हैं और लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं। इस बीमारी के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और उल्टियां शामिल है। अगर इसका तुरंत इलाज नहीं किया गया तो यह जानलेवा हो सकता है।
2. डेंगू फीवर: डेंगू वायरस एडीज इजिप्टी प्रजातियों के मादा मच्छरों से फैलता है और कुछ हद तक ए अल्बोपिक्टस द्वारा फैलता है। इस बीमारी से लक्षणों में हाई फीवर, तेज सिरदर्द, मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द और नाक व मसूड़ों से हल्का खून निकलना शामिल है। डेंगू बुखार को ‘हड्डीतोड़ बुखार’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इससे पीड़ित लोगों को इतना अधिक दर्द हो सकता है कि जैसे उनकी हड्डियां टूट गयी हों।
3. चिकनगुनिया: चिकनगुनिया मच्छरों से फैलने वाला एक ऐसा बुखार है, जो इंसान के शरीर के समस्त जोड़ों को प्रभावित कर शरीर को भी काफी नुकसान पहुंचाता है। यह संक्रमित बीमारी एडीज एजिप्टी और एडीज अल्बोपिक्टस जैसे संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलती है। इस बीमारी में तेज बुखार, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द और तेज सिर दर्द होता है। इस बीमारी के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है। लक्षणों को दूर होने के लिए आराम और तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
4. ज़िका फीवर: ज़िका वायरस भी एडीज प्रजातियों के मच्छरों के काटने से फैलती है। इसके लक्षण हल्के होते हैं और इसमें बुखार, ज्वाइंट मसल्स पेन या दाने उठना है। इस वायरस को रोकने के लिए कोई टीका नहीं है।
5. लिम्फेटिक फिलेरियासिस: यह रोद तीन धागे की तरह दिखने वाले परजीवी फिलारियल कीड़े, वूक्विरिया बैनक्रॉफी, ब्रुइया मलयी और ब्रुइया टीमोरी के कारण होता है, जो सभी मच्छरों द्वारा प्रेषित होते हैं। यह लिम्फेटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और इससे अंगों में सूजन होती है। लिम्फेटिक डैमेज के कारण संक्रमण के लगातार हमले भी होते हैं।
6. जापानी एन्सेफलाइटिस: जापानी एन्सेफलाइटिस एक वायरस है जो मच्छरों द्वारा किया जाता है, जिससे मस्तिष्क की सूजन होती है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है और गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, जैसे कि लंबे समय तक स्नायविक विकलांगता और मृत्यु। वायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने के बाद जापानी एन्सेफलाइटिस के साथ संक्रमण होता है। एशिया में वायरस में एन्सेफलाइटिस का प्रमुख कारण जापानी एन्सेफलाइटिस है।