नई दिल्ली- इंडियन इंस्टीट्यूशन ऑफ टेक्निकल आर्बिट्रेटर्स (आईआईटीएआरबी) 19 और 20 मई को विज्ञान भवन में कंस्ट्रक्शन आर्बिट्रेशन: द इंडियन ऐंड इंटरनेशनल पर्सपेक्टिव पर पांचवीं इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस की मेज़बानी कर रहा है। 19 मई से शुरु हुई इस कॉन्फ्रेंस में कंस्ट्रक्शन आर्बिट्रेशन के क्षेत्र से जुड़े कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय एक्सपर्ट्स हिस्सा ले रहे हैं। कॉन्फ्रेंस के दौरान इन एक्सपर्ट्स ने कंस्ट्रक्शन आर्बिट्रेशन के वर्तमान और उभरते हुए ट्रेंड्स पर अपनी बात तो रखी ही साथ ही यह भी बताया कि इस क्षेत्र में भारत में कौन से बेहतरीन अंतर्राष्ट्रीय तौर-तरीकों को अपनाया जा सकता है।
यह कॉन्फ्रेंस कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के प्रोफेशनलों को एक बेहतरीन फोरम प्रदान करती है, ताकि वे कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के तमाम विवादों को बेहतर ढंग से निपटाने से जुड़े अपने अनुभवों के बारे में न केवल बात करें बल्कि उऩ्हें एक दूसरे से साझा भी करें।
इस कॉन्फ्रेंस के चीफ गेस्ट रहे, भारत सरकार के यूनियन जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, जिन्होंने इस कॉन्फ्रेंस को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए संबोधित करते हुए कहा, ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल आर्बिट्रेटर्स ने देश के विकास में आने वाली परेशानियों को दूर करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। यह संगठन लगातार नए और मज़बूत भारत के निर्माण कार्य में लगा हुआ है। पिछले दो दशकों में इस इंस्टीट्यूशन की उपलब्धियां निश्चित तौर पर तारीफ के लायक हैं। आईआईटीएआरबी कमर्शियल विवादों को सुलझाने के लिए वैकल्पिक समाधान देने में बगैर रुके लगा हुआ है, जिससे हमें ग्लोबल स्टेज पर एक मज़बूत आर्थिक ताकत बनकर उभरने में मदद मिली है। इस इंडस्ट्री के आगे कई टेक्निकल और लीगल चुनौतियां होती हैं। आर्बिट्रेटर्स की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। मुझे इस बात का पूरा भरोसा है कि इस कॉन्फ्रेंस में कुछ बहुत अच्छे आईडियाज़ निकलकर सामने आएगें।’
इस इवेंट में कई प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें ग्रेशियस, शूर्येंदु, हिमांशु बत्रा, हसित सेठ, डॉक्टर अमित जॉर्ज, रतन के सिंह, आनंद जुडू, तेजस कारिया, सौरव अग्रवाल, जस्टिस तलवंत सिंह, दातुक प्रोफेसर सुंदर राजू मलेशिया, कुणाल वजानी और हेड्स टैम शामिल रहे।
‘यह कॉन्फ्रेंस भारत में कंस्ट्रक्शन कानून की ज़रूरत पर रोशनी डालती है। इस कानून से कंस्ट्रक्शन से जुड़े विवादों को कम समय में बेहतर ढंग से सुलझाने में मदद मिलेगी। इस कानून के माध्यम से टेक्निकल आर्बिट्रेटर्स की भूमिका और व्यापक किए जाने की बात होनी चाहिए। इसमें न्यायपालिका और वकीलों की बजाय इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि वे स्थिति का बेहतर ढंग से विश्लेषण कर तुरंत सही फैसला ले सकें,’ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल आर्बिट्रेटर्स के चेयरमैन कृष्ण कांत ने कहा।
यह कॉन्फ्रेंस हर तरह की इंडस्ट्री के प्रोफेशनलों के लिए आयोजित की गई है, जैसे इंजीनियर्स, आर्किटेक्ट्स, कॉन्ट्रेक्टर्स, सब-कॉन्ट्रेक्टर्स और लीगल प्रोफेशनल्स। इस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए ज्ञान, विचारों के आदान-प्रदान, इस क्षेत्र में प्रोफेशनलों के बीच रिलेशनशिप बनाना और हर क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने जैसे मुद्दों के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान किया गया है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल आर्बिट्रेटर्स के सेक्रेटरी जनरल, श्री एमसीटी पारेवा ने आगे जोड़ा, ‘यह कॉन्फ्रेंस बेहतर नतीजे प्राप्त करने की दिशा में कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के लीगल और टेक्निकल फील्ड के एक्सपर्ट्स के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान का सेशन रहा। यह इंस्टीट्यूट कंस्ट्रक्शन सेक्टर में विवादों का समाधान करने वाले प्रोफेशनलों के लिए एक ट्रेनर की तरह काम करता है, जिससे प्रोजेक्ट्स की समय से पहले डिलीवरी में मदद मिलती है और इसके परिणामस्वरूप देश तेज़ी से विकास की राह पर आगे बढ़ता है। इससे देश के सोशियो-इकॉनॉमिक विकास में भी मदद मिलती है ।’
कॉन्फ्रेंस के दौरान पैनल डिसकशन भी हो रहे हैं और कंपैरेटिव स्टडी भी प्रस्तुत की गई। कॉन्फ्रेंस में भारत में कंस्ट्रक्शन आर्बिट्रेशन के तौर-तरीकों पर भी रोशनी डाली गई, इसके अलावा सुझाए गए लेजिस्लेटिव और पॉलिसी के क्षेत्र में उठाए जाने वाले कदमों , कंस्ट्रक्शन आर्बिट्रेशन के लिए विशेष नियम बनाने, स्टैंडर्ड फॉर्म कॉन्ट्रैक्ट्स और बेसपोक कंडीशन से जुड़े मुद्दों, डॉक्यूमेंटेशन, देरी और क्वान्टम विश्लेषण, आर्बिट्रेशन क्लॉसेज़ का ड्राफ्ट तैयार करना, आर्बिट्रेटर्स की नियुक्ति भी इस इवेंट के मुख्य मुद्दों में शामिल हैं।
आईआईटीएआरबी के बारे में जानकारी
आईआईटीएआरबी एक गैर-लाभकारी संगठन है,जो इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में होने वाले विवादों के समाधान के लिए एक वैकल्पिक मंच को प्रमोट करने में लगा हुआ है। आईआईटीएआरबी कई तरह की सेवाएं प्रदान करता है, जिनमें आर्बिट्रेशन, मध्यस्थता और विवादों पर निर्णय शामिल है। इसके आर्बिट्रेटरों के पैनल में टेक्निकल एक्सपर्ट्स शामिल हैं, जो आर्बिट्रेशन के प्रिंसिपल्स और विवादों के समाधान में प्रशिक्षित हैं।