नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि भारत और आसियान को जोड़ने वाले रामायण और बौद्ध धर्म दो पहलू हैं। यही वजह है कि उन्हें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में प्रमुखता दी गई है। उन्होंने मंगलवार को यह बात कही।
“भारत-आसियान युवा पुरस्कार” समारोह में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत और आसियान देशों के संबंध सदियों पुराने हैं। दोनों देशों के बीच संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, वाणिज्यिक और शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में फैले हुए हैं। आसियान भारत शिखर सम्मेलन 25 जनवरी को यहां आयोजित होना है। उसके पहले भारत-आसियान युवा पुरस्कारों का आयोजन किया गया था।
उन्होंने कहा, दक्षिणपूर्व एशियाई क्षेत्र के विद्यार्थी भारत को एक महत्वपूर्ण शिक्षण केंद्र के रूप में चुन रहे हैं। प्राचीन काल में, वे नालंदा विश्वविद्यालय को पसंद करते थे।
उन्होंने कहा, “इतिहास गवाह है और दो चीजें हैं जो मुख्य रूप में भारत और आसियान देशों को आपस में जोड़ती हैं। एक है बौद्ध धर्म और दूसरी है रामायण। हमने इस शिखर सम्मेलन के लिए उन दोनों को मुख्य केंद्र में रखा है। बौद्ध धर्म के लिए हमने धर्म धर्मा कांफ्रेंस नालंदा राजगीर में आयोजित की।”
ब्रुनेई के विदेश मंत्री से मिलीं सुषमा
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को ब्रुनेई के अपने समकक्ष लिम जॉक सेंग से मुलाकात की और संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।