नई दिल्ली।भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर गौरवान्वित करने वाली पहलवान युवतियों के यौन शोषण के आरोप बेहद खेदजनक हैं। उस से भी ज़्यादा खेदजनक ये है कि भारतीय ओलिंपिक संघ से लेकर भारतीय कुश्ती संघ इन सब आरोपों पर गंभीर दिखना तो दूर, पहलवानों पर ही आक्षेप लगा रहा है। खेल मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय न सिर्फ चुप हैं, बल्कि इस पूरे प्रकरण पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। राष्ट्रिय महिला आयोग की तरफ से भी कुछ कार्यवाही दिखाई दी। अंततः आदरणीय सर्वोच्च न्यायलय को हस्तक्षेप करना पड़ा और तब जाकर दिल्ली पुलिस ने पाँव घसीटते हुए ऍफ़ आई आर दर्ज की। ये सब ढुलमुल रवैय्या इसलिए अपनाया गया क्योंकि यौन शोषण की शिकायत युवतियों ने खुद भारतीय कुश्ती संघ के प्रमुख और भाजपा के सांसद बृजभूषण सिंह के विरुद्ध की थी।
इसमें ये बात भी गौर करने लायक है कि युवतियों में नाबालिग युवती की शिकायत भी दर्ज है। ज़ाहिर है कि ये मामला कोई समझाने बुझाने का नहीं है, ये एक आपराधिक मामला है जिसका खुलासा तो होना ही चाहिए, इसमें न्याय भी होना चाहिए।
ये प्रकरण कोई अकेला प्रकरण नहीं है। हरियाणा में एक जूनियर एथलेटिक कोच ने हाल ही में प्रदेश के खेल मंत्री, संदीप सिंह, पर भी ऐसे ही आरोप लगाए जिसके बाद मंत्री के पक्ष में हरियाणा सरकार पूरी तरह से उतर आई।
महिला खिलाडियों के लिए यूं भी राह आसान नहीं होती, उसपर अभिभावक ही शोषण करने लगें तो ये एक गंभीर अपराध ही कहा जा सकता है। इस पूरे प्रकरण में हैरानी की बात ये है कि देश के सर्वोच्च मंच से “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा बुलंद करने के बावजूद ये अन्याय लगातार चल रहा है। जो पीड़ित आवाज़ उठा रहे हैं, उन पर देश की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया जा रहा है। महिला स्वराज इस अनैतिक विचार का पुरजोर विरोध करते हुए सवाल करता है,”जिस देश में उसकी सर्वोच्च सामान की हक़दार बेटियों की अस्मिता सुरक्षित न हो, वहाँ देश की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले यौन अपराधियों पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जाती?”
बिलकिस बानो प्रकरण में ११ बलात्कारियों और अपराधियों को “संस्कारी” होने का अनुमोदन कर उनकी उम्रकैद को माफ़ कर दिया गया। तब भी महिला स्वराज ने चेताया था कि यह प्रकरण महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अत्याचारों को बलशाली करेगा।
महिला स्वराज देश की इन बहादुर बेटियों के साथ मज़बूती से खड़ा है। साथ ही महिला और बाल विकास मंत्री, राष्ट्रिय महिला आयोग, अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक संघ, भारतीय कुश्ती संघ से अपेक्षा करता है कि वे निष्पक्ष हो महिला अधिकारों, सुरक्षा और अस्मिता के लिए अपना कर्त्तव्य पूर्ण करेंगे। साथ ही, बृजभूषण सिंह को तत्काल प्रभाव से उनके पद से निरस्त किया जाए। उनके साथ अन्य जिन भी अधिकारियों का नाम इस अपराध में आया है, उन सबकी भी जांच की जाए।