बेटियों के मामले में ऐसे लापरवाह न रहें, पैरेंट्स के लिए जरूरी हैं ये 10 बातें

asiakhabar.com | March 10, 2018 | 5:20 pm IST
View Details

मल्टीमीडिया डेस्क। बच्चे को जरा-सी भी खरोंच आ जाए तो एक मां को जो दर्द होता है उसे बयां करना मुश्किल है। जिस बच्चे को नौ महीने कोख में रखा, अपने सीने से चिपकाकर बड़ा किया, उस बच्चे को कुछ हो जाए तो दुनिया में इससे बड़ा दर्द कुछ नहीं। उसमें भी घर की लक्ष्मी कही जाने वाली बेटी के साथ मन, शरीर को छिलनी कर देने वाली दरिंदगी हो जाए तो एक माता-पिता के लिए जिंदगी भर का दर्द है जिसे लेकर कहीं न कहीं वे खुद को अपराधी समझते हैं।

मध्यप्रदेश के इंदौर शहर स्थित ट्रेजर आइलैंड मॉल में नौ साल की एक बच्ची के साथ गेमिंग जोन में दरिंदगी हुई। बच्ची अपनी मां और भाई के साथ मॉल में एंजॉय करने आई थी। एक तरफ मॉल में वुमंस डे सेलिब्रेशन चल रहा था तो दूसरी और बच्ची दुष्कर्म का शिकार हो गई।

ऐसे न जाने कितने मामले सुनने को मिलते हैं जिसमें नाबालिग बच्चियां शिकार हुई हैं। दिल्ली में पिता के एक रिश्‍तेदार ने दस साल की बच्ची से दुष्कर्म किया, पाकिस्तान में आठ साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म कर हत्या कर दी गई थी तब एक टीवी एंकर ने विरोध जताते हुए बेटी को गोद में बैठाकर न्यूज पढ़ी थी। उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में पांच साल की बच्ची को भी नहीं बख्शा गया। हद तो देखिए दिल्ली में 18 महीने की बच्ची के 28 साल के चचेरे भाई ने खेलने के बहाने गंदी हरकत कर डाली।

ये घटनाएं दिल को झकझोर देने वाली हैं और सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा करती हैं कि इन मासूमों के लिए क्या ये दुनिया इतनी बेदर्द है? इन सब के लिए कौन जिम्मेदार है? समाज की जिम्मेदारी है इन बच्चियों को डर मुक्त वातावरण देना। लेकिन एक बच्ची जब तक खुद की रक्षा-सुरक्षा के लायक नहीं हो जाती तब तक उसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी पैरेंट्स की है।

किसी हादसे का इंतजार न करें

पैरेटिंग एक्सपर्ट महिमा शर्मा बताती हैं, ‘जरूरी नहीं कि किसी बेटी के साथ जब तक कोई बड़ी घटना नहीं हो जाती, तब तक आपको इस ओर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। आपकी बच्ची को जहां आप सुरक्षित समझ रहे हैं, वहां भी आपको शंका की सूई घुमानी चाहिए।’

‘मेरे एक क्लाइंट के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। वे अपनी 6 साल की बच्ची पर चिढ़ रहे थे कि ट्यूशन जाने में आनाकानी करती है, ट्यूशन जाने का समय होते ही नाटक शुरू हो जाते हैं। गुस्सा करती है।’

वे आगे बताती हैं, ‘पैरेंट्स काउंसलिंग के लिए मेरे पास इसलिए लाए थे कि उसे यह समझाऊं कि पढ़ाई करना जरूरी है, स्कूल-ट्यूशन जाकर पढ़ाई में स्मार्ट हो जाएगी। लेकिन जब बच्ची से बात की तो होश उड़ गए। बात-बात में पता चला कि वह पढ़ाई से नहीं भाग रही, वह भाग रही है उस सिचुएशन से जो ट्यूशन में उसके साथ होती है। ट्यूशन तो लेडी टीचर पढ़ाती है लेकिन उस टीचर का 19 साल का भाई उस बच्ची के साथ गलत हरकत करता है। टीचर बार-बार किचन में काम निपटाती है, तब तक वह उसका भाई बच्ची को गलत तरीके से छूता है और उसे भी मजबूर करता है।’

महिमा के मुताबिक, ‘बच्चों की बातों को इग्नोर नहीं करना चाहिए। वे बेवजह अनाकानी नहीं करते हैं, उसके पीछे कुछ न कुछ बात जरूर होती है और पैरेंट्स को उस बात की तह तक जाना चाहिए।

सबसे बड़ी लापरवाही थी ‘शंका नहीं की’

इंदौर में बिचौली मर्दाना की रहने वाली आरती शाह (परिवर्तित नाम) को अंदाजा नहीं था कि वह जाने-अनजाने में कितनी लापरवाह थी। वे खुद इस बात को स्वीकारती है कि उनकी अनदेखी से बच्ची की जिंदगी बर्बाद हो जाती।

वे बताती हैं- ‘सुबह 3.5 साल की बेटी को स्कूल वैन लेने आती है जो कि सबसे पहले उनकी बच्ची को लेती है और फिर बाद में दूसरे स्टॉप पर जाती है। पूरे एक महीने ऐसा ही रहा और मैंने ये कभी सोचा ही नहीं कि बेटी वैन में ड्राइवर के साथ अकेली जाती है, वह भी ड्राइवर की सीट के पास बैठकर।’

‘पहले 15 दिन तो वह खुशी-खुशी स्कूल जाती थी। फिर उसके बाद स्कूल के नाम से ही फूट-फूट कर रोती। लेकिन मैं जबरदस्ती भेजती। मैंने कभी शक नहीं किया कि वैन में अकेले मेरी बेटी के साथ ड्राइवर कुछ कर सकता है। लेकिन हुआ कुछ ऐसा ही। मेरी बेटी ने आखिरकार यह कहा कि अंकल मेरे थाइस पर मारते हैं। बोलते हैं मम्मी को मत बताना वरना वैन से नीचे फेंक दूंगा।’

उनके मुताबिक ‘अगर बेटी नहीं बताती तो आगे न जाने क्या होता। ये मेरी लापरवाही थी जो मैंने इस दिशा में शुरू से सोचा ही नहीं।’

शर्मीली नहीं, परेशान थी बेटी

उदयपुर की रहने वाली निशा वशिष्ठ (परिवर्तित नाम) के मुताबिक, गर्मी की छुट्टियां मनाने जोधपुर मायके जाते हैं। साल 2015 की बात है जब 6 साल की बेटी और 3 साल के बेटे के साथ मायके गए।

निशा ने कहा , ‘मेरे कजिन मामा के बच्चे भी वहीं रहते थे और उनकी उम्र 20 से 23 साल थी। काफी क्लोज थे तो बच्चों के उनके साथ घूमने भेज देते। वे स्विमिंग कराने ले जाते, यहां तक कि खुली छत पर सारे बच्चों और भाई-बहनों को सुला देते थे। मैने सोचा भी नहीं था कि कजिन मामा के ये बच्चे मेरी बेटी के साथ गंदी हरकत करेंगे। वे स्विमिंग के समय गलत जगह छूते थे, रात को छत पर सोते तो उसे अपने पास सुलाकर गलत जगह हाथ रखते।’

‘बेटी हमेशा उनसे कतराती थी। लेकिन हमें लगता था कि शर्मीली है इसलिए उनसे दूर भागती है। मुझे इस बात की जानकारी तब हुई जब मेरी बहन ने मुझे उन्हें नोटिस करने को कहा। मैंने देखा कि मेरी बेटी के साथ इतना गलत हो रहा था कि उसे भी नहीं पता था। लेकिन एक इन्ट्यूशन था बस कि उन लोगों के साथ अच्छा नहीं लगता। मैंने उनसे रिश्ता तोड़ लिया और आज तक मुंह नहीं देखा।’

वे कहती है, ‘बेटी जब उनसे भागती थी तो मैं सोचती थी कि ये इतनी क्यों शर्मीली है। कब खुलेगी। पर मैं गलत थी। मेरी बेटी मुझसे कहीं ज्यादा समझदार थी।’

इन मांओं की बातों से साफ लगता है कि बच्चों को हम ही कई बार जोखिम में डालते हैं। उन्हें किसी के भी साथ, किसी के भी हाथ में सौंपने से पहले हजार बार सोचना चाहिए और शंका की गुंजाइश रखनी चाहिए।

साइकोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक खरे यहां ऐसी बातें और टिप्स बता रहे हैं जो कि हर पैरेंट्स को अपनाने चाहिए:

1. सबसे बड़ी बात बच्चों की हर एक्टिविटी में हिस्सा लीजिए।

2. आप कितना भी थके हो लेकिन जो भी बच्चे बता रहे हो उनकी बातें ध्यान से सुनें।

3. कार, स्कूल वैन हो या कोई भी व्हीकल, बच्चों को अकेला न छोड़ें।

4. पहले ही दिन से बच्चों के साथ ट्रस्ट और कम्यूनिकेशन स्थापित करें।

5. उन खबरों के बारे में अपने बच्चों से बात करें जो सुनते हैं और उनसे उस बारे में विचार जानें।

6. कोई भी व्यक्ति अगर ज्यादा और बेमतलब बच्चे में रूचि ले रहा है, उस पर नजर रखें।

7. बच्चों को अब तक आपने बड़ों की रिस्पेक्ट करना ही सिखाया होगा लेकिन बच्चों को समझाएं कि अगर कोई आपके साथ जरा भी गलत करें तो आप रूड हो सकते हैं।

8. अगर कोई कहे कि कोई बात मम्मी या पापा को नहीं बताना तो बच्चों को सिखाएं कि वे उन्हें जरूर बताएं। कोई बॉडी सीक्रेट न रखें।

9. बच्चों की किसी जिद को हल्के में न लें। हो सकता है उसमें कुछ बात छुपी हो।

10. बच्चों से हर तरह की बात करें। गुड टच बैड टच बताने का समय आ गया है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *