पटना। बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर. एस. भट्टी ने गलवान घाटी में शहीद हुए वैशाली जिले के जयकिशोर सिंह का स्मारक बनाने पर उनके पिता राज कपूर सिंह के साथ पुलिस दुर्व्यवहार मामले की जांच और दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए अपराध अनुसंधान शाखा (सीआईडी) की विशेष टीम का गठन किया है।पुलिस मुख्यालय सूत्रों ने बुधवार को बताया कि गलवान घाटी की घटना में शहीद सैनिक के पिता की गिरफ्तारी के क्रम में दुर्व्यवहार की खबरें मीडिया में प्रसारित और प्रकाशित होने पर पुलिस महानिदेशक ने इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने सीआईडी के अंतर्गत कमजोर वर्ग प्रभाग के अपर पुलिस महानिदेशक को विशेष टीम गठित कर मामले की जांच का निर्देश दिया है।
इस निर्देश के आलोक में कमजोर वर्ग प्रभाग का विशेष दल इस घटना के सभी बिंदुओं पर अनुसंधान कर अपना प्रतिवेदन समर्पित करेगा। इस पूरे मामले में यदि कोई पुलिस पदाधिकारी अथवा पुलिसकर्मी दोषी पाया जाएगा तो उसके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
परिजनों का आरोप है कि वैशाली जिले के जंदाहा थाना क्षेत्र के मुकुंदपुर भात पंचायत के चकफतह गांव में 23 जनवरी को पुलिस ने हरिनाथ राम की शिकायत पर शहीद जय किशोर के पिता के खिलाफ एससी-एसटी का मामला दर्ज किया था। एक महीने बाद 25 फरवरी को पुलिस रात 11 बजे उनके घर पहुंची और पिता को जबरदस्ती अपने साथ जंदाहा थाने ले गई और मारपीट के बाद जेल भेज दिया।
दरअसल, हरिनाथ राम और राजकपूर सिंह एक ही गांव में अपनी जमीन की सीमा साझा करते हैं। जय किशोर सिंह के शहीद होने के बाद बिहार सरकार, केंद्र सरकार और विपक्षी नेताओं के साथ कई मंत्रियों ने परिवार के सदस्यों से मुलाकात करते हुए इस बात का ऐलान किया था कि उनके नाम पर एक स्मारक बनाया जाएगा। हालांकि, जमीन का आवंटन नहीं किया गया। इतना ही नहीं जिला प्रशासन ने भी इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई।
शहीद के बड़े भाई नंदकिशोर सिंह ने बताया कि महुआ की अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (एसडीपीओ) पूनम केसरी ने स्मारक को 15 दिनों के अंदर हटाने के निर्देश दिए थे। 25 फरवरी की रात थानाध्यक्ष उनके पिता को थाने ले गए, जहां उनके साथ गाली-गलौज और मारपीट की गई।
हरिनाथ के बेटे मनोज कुमार ने कहा कि राजकपूर के पास गांव में जमीन का एक बड़ा टुकड़ा है। वह कहीं भी स्मारक बना सकते हैं। आखिर मेरी जमीन के सामने ही क्यों बनाना चाहते हैं। हम भी चाहते हैं कि जयकिशोर के नाम पर एक स्मारक बनाया जाए। वो हमारे भी भाई थे। दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि समाज के दबाव में आकर हम उस समझौते के लिए राजी हुए थे लेकिन अब इस पर हम आगे नहीं बढ़ना चाहते।