नई दिल्ली। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानी ने कल यहां बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन के लिए एक नए मानकीकृत प्रोटोकॉल की शुरुआत की। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास एवं आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेन्द्रभाई, महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव श्री इंदीवर पांडे, भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि सुश्री सिंथिया मेक कैफ्रे, संयुक्त राष्ट्र की महिला प्रतिनिधि सुश्री सूसन फर्गूसन, विश्व स्वास्थ्य संगठन की डिप्टी कंट्री हेड सुश्री पेडेन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री राजीव मांझी भी उपस्थित थे।
बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन का यह प्रोटोकॉल भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है।
विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए), इंटरनेशनल पीडियेट्रिक एसोसिएशन और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियेट्रिक के अलावा विश्व बैंक, बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे महत्वपूर्ण संगठनों के प्रतिनिधि और विशेषज्ञ भी उपस्थित थे। इनके अलावा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा स्वास्थ्य विभाग के देशभर से आए वरिष्ठ अधिकारियों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में देशभर से आई सीडीपीओ, महिला सुपरवाइजर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ता भी उपस्थित थीं।
महिला एवं बाल विकास सचिव श्री इंदीवर पांडे ने प्रारंभिक भाषण दिया और बच्चों के लिए बेहतर पोषण की व्यवस्था करने की मंशा से किए जा रहे विभिन्न महत्वपूर्ण प्रयासों की जानकारी दी। श्री पांडे ने पोषण और स्वास्थ्य प्रबंधन तथा सेवाओं तक पहुंच बनाने और उनकी निगरानी के लिए आईसीटी पोषण ट्रैकर ऐप द्वारा निभाई जा रही भूमिका पर प्रकाश डाला। इस वर्ष सितंबर माह के दौरान 7 करोड़ से ज्यादा बच्चों के पोषण स्तर का पता लगाने की दिशा में प्राप्त उपलब्धि पर विशेष जोर दिया गया। सचिव ने अपने संबोधन में कहा, ‘मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के जरिए कुपोषण को कम करने के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रयासों में यह प्रोटोकॉल एक महत्वपूर्ण तत्त्व होगा। इस प्रोटोकॉल में आंगनवाड़ी और चिकित्सा इको-सिस्टम के जरिए कुपोषित बच्चों का आकलन करने और उन्हें देखभाल मुहैया कराने की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।’
लेडी हार्डिंग कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ और नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस-सिवियर एक्यूट मालन्यूट्रीशियन के डिप्टी लीड डॉ. प्रवीण कुमार ने बेहतर पोषण नतीजों और कुपोषण के सामुदायिक प्रबंधन के लिए एनआरसी का उन्नयन करने के विषय पर एक प्रस्तुती दी। डॉ. प्रवीण कुमार ने उम्मीद जाहिर की कि इस मानकीकृत प्रोटोकॉल की शुरुआत से देश के विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में सामुदायिक स्तर पर कुपोषण की समस्यां को समझने और उसका प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। खासतौर से उन इलाकों में जहां कोई चिकित्सीय समस्याएं नहीं है।
श्री महेन्द्रभाई ने कहा कि यह प्रोटोकॉल यह सुनिश्चित करेगा कि देशभर के सैम/मैम (उम्र के हिसाब से बेहद कम वजन और कम लंबाई वाले बच्चे/काफी हद तक कुपोषण से ग्रस्त बच्चे) बच्चों को समय पर और प्रभावी ढंग से समर्थन दिया जा सके। यह प्रोटोकॉल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं, महिला सुपरवाइजरों, बाल विकास परियोजनाओं के अधिकारियों और इसे लागू करने के जिम्मेदार पदाधिकारियों समेत सभी लोगों को स्पष्टता और मार्ग निर्देशन देता है।