मल्टीमीडिया डेस्क। फूड प्वाइजनिंग को अक्सर कम महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखा जाता है। मगर, सच्चाई यह है कि यह काफी घातक हो सकता है। यहां कुछ ऐसी ही गलत धारणाओं के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जो अक्सर लोग सोचते हैं, लेकिन वैसा होता नहीं है।
अगर फूड प्वाइजनिंग हुई है, तो लोग यही मानते हैं कि यह उनके पिछले खाने की वजह से हुई होगी। मगर, यह बैक्टीरिया और वायरस के कारण होती है, जो 6 घंटे से लेकर पांच दिन में अपनी रिएक्शन करते हैं। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि आपने जो पिछला भोजन किया है, उसी की वजह से आप बीमार हुए हों।
उदाहरण के लिए, नोरोवायरस लगभग 12 से 48 घंटे में रिएक्शन देता है। वहीं, ई. कोली के कारण होने वाली फूड प्वाइजनिंग के लक्षणों का पता चलने में एक दिन से लेकर आठ दिनों का समय लग सकता है।
आप मांस को सिर्फ इसे देखकर बता सकते हैं कि यह पक गया है या नहीं। मगर, यह पक्का करने के लिए कि मीट में मौजूद सभी बैक्टीरिया और वायरस पूरी तरह से मर गए हैं, उसे 70 डिग्री सेल्सियस पर पकाया जाना चाहिए। हो सकता है कि बाहर के मीट पूरी तरह पक गया हो, लेकिन अंदर तक वह इस तापमान में नहीं पहुंचा हो।
वास्तव में सभी प्रकार की फूड प्वाइजनिंग में दस्त और उल्टी नहीं होती है। यह कभी-कभी यह दूसरे रूप में भी जाहिर होती है। जैसे बुखार, सिरदर्द और जोड़ों में दर्द, आंखों में जलन और यूरीन करने में परेशानी होना। ये ऐसे लक्षण हैं जो हर व्यक्ति से दूसरे में अलग हो सकते हैं, इसलिए यदि डायरिया और उल्टी नहीं हो रही है, तो यह न समझें कि आपको फूड प्वाइजनिंग नहीं हुई है।
घर में पकाया भोजन अधिक स्वच्छ है
अपने घर के पकाया हुआ भोजन हमेशा ही स्वच्छ हो, यह जरूरी नहीं है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने भोजन पकाने के लिए कच्चे सामान का कैसे इस्तेमाल किया है, उसे कहां रखा है और कैसे उसे पकाया गया है।
बैक्टीरिया और वायरस केवल मीट से फैलते हैं
यह गलतफहमी खतरनाक हो सकती है, क्योंकि शाकाहारी खाना खाने वाले लोगों को भी फूड प्वाइजनिंग हो सकती है। दरअसल, फूड प्वाइजनिंग के लगभग एक चौथाई मामले फल और सब्जियों के कारण होते हैं। खासतौर पर जब आप उन्हें सलाद के रूप में कच्चा खाते हैं। घर में खाना बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि सब्जियों को काटने के लिए अलग और मीट को काटने के लिए अलग चाकू का इस्तेमाल करें।