18 Nov आम धारणा है कि घरों में पत्नी की मर्जी चलती है और उसके आगे पति को समझदारीपूर्वक चुप रह जाना पड़ता है। मजे की बात यह है कि आम ही नहीं, बल्कि खासमखास पतियों की भी लगभग यही हालत रहती है। यह किस्सा बताता है कि महानायक अमिताभ बच्चन के पिता और हिंदी के ख्यात कवि हरिवंशराय बच्चन के साथ भी ऐसा ही होता था।
पत्नी तेजी बच्चन उन्हें अपने पिता की आड़ लेकर अक्सर चुप कर देती थीं। किस्सा कुछ यूं है कि हरिवंशराय बच्चन को बचपन से अच्छा खाने-पीने का शौक था। वे भोजन को बहुत रुचि से खाते और जरा भी नमक, मिर्ची कम-ज्यादा होने, जीरा-लहसुन ज्यादा जल जाने या कच्चे रह जाने जैसी बातों पर भोजन बनाने वाले को डांट देते थे।
लेकिन जब तेजी बच्चन से उनका विवाह हुआ तो मानो दुनिया उल्टी-पुल्टी हो गई। विवाह के बाद भोजन में कोई गड़बड़ी हो भी जाती, तो भी श्री बच्चन चुपचाप खा लेते। लेकिन जब भोजन बहुत ही बेस्वाद या जला-भुना बनता तो वे गुस्सा हो ही जाते।
तब तेजी बच्चन तुरंत उन्हें अपने पिता का उदाहरण देकर कहतीं ‘मेरे पिता होते तो इस भोजन की बहुत प्रशंसा करते!’ दरअसल, तेजी के पिता सरल व्यक्ति थे और भोजन को लेकर उन्होंने जीवन में कभी शिकायत नहीं की। बच्चन जी अक्सर उनकी इस बात की प्रशंसा करते थे। इसलिए तेजी इस बात को अपने बचाव के लिए ढाल की तरह इस्तेमाल करती थीं।