नई दिल्ली। आंतकियों को मदद देने के मामले में दुनियाभर में अलग-थलग पड़ते जा रहे पाकिस्तान की मुश्किल आने वाले दिनों में और बढ़ने वाली है। आतंकी फंडिंग रोक पाने में नाकाम रहने की वजह से उसको एक बार फिर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) में निगरानी सूची में डालने का फैसला लिया गया है।
समाचार एजेंसी रायटर ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। हालांकि, समाचार लिखे जाने तक इस संबंध में औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। एफएटीएफ की पेरिस बैठक में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस ने पाकिस्तान को एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था।
इस प्रस्ताव का पारित होना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए भारी धक्का होगा। इससे उसके लिए दूसरे देशों से कर्ज लेने या व्यापार करने में मुश्किल आएगी। यह बैठक पिछले तीन दिनों से चल रही है और अभी तक पाकिस्तान का मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चित रहा है।
पहले यह सूचना आई थी कि चीन के कड़े विरोध की वजह से पाकिस्तान को निगरानी सूची में डालने का मुद्दा फिलहाल टाल दिया गया है। मगर, आखिरी दिन की बैठक में बाजी पलट गई। विदेशी समाचार माध्यमों से सूचना आ रही है कि आतंक पर अमेरिका व उसके सहयोगी देशों के कड़े तेवर देखने के बाद पाकिस्तान का समर्थन कर रहे चीन और खाड़ी के देशों के संगठन (जीसीसी) का रुख भी बदला है।
साल 2012 से लेकर 2015 के बीच भी एफएटीएफ ने पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाल रखा था। लेकिन, जानकार मान रहे हैं कि तब हालात दूसरे थे। अभी पाकिस्तान पर 300 अरब डॉलर का कर्ज है, जिसके ब्याज का भुगतान करने के लिए वह कई बार दूसरे देशों से कर्ज लेता है।
मगर, अब निगरानी सूची में शामिल होने के बाद उसे ज्यादा ब्याज पर कर्ज मिलेगा। पाकिस्तान में लगने वाली अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए भी वित्त पोषण करने में मुश्किल होगी। अमेरिका ने पिछले महीने ही पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद में भारी कटौती करने का एलान किया था।
एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और व्यक्तियों के वित्तीय लेन-देन पर रोक नहीं लगाने का दोषी बताया था। निगरानी सूची में डाले जाने से बचने के लिए पाकिस्तान ने एफएटीएफ की बैठक शुरू होने से ठीक पहले आतंकी हाफिज सईद और उसके संगठनों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी।
सईद के संगठनों के लिए चंदा जुटाने पर पाबंदी लगाने का कानूनी प्रावधान किया गया था। इसके लिए पाकिस्तान ने अपने आतंकरोधी कानून में संशोधन किया था। भारत लगातार कहता रहा है कि पाकिस्तान सिर्फ दिखावे के लिए इस तरह का कदम उठाता है।