पटना। पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश भर में शौचालय निर्माण का काम किया जा रहा है, मगर इस काम में भी लोग भ्रष्टाचार का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। पटना में 10 हजार शौचालय निर्माण के नाम पर यह फर्जीवाड़ा हुआ है।
ऐसे ही शौचालय निर्माण के एक मामले में नियमों की धज्जियां उड़ाकर चार एनजीओ को अवैध भुगतान किया गया है। चार एनजीओ को साढ़े 13 करोड़ रुपये और प्रचार-प्रसार के नाम पर डेढ़ करोड़ रुपये का अवैध तरीके से किए गए भुगतान के मामले में पुलिस ने शुक्रवार को केस दर्ज किया है।
शुक्रवार को गांधी मैदान थाने में 13 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस ने नामजद अभियुक्तों की तलाश में छापेमारी शुरू कर दी है।
आरोप है कि आदि शक्ति सेवा संस्थान के खाते में 10 करोड़ तीन लाख 94 हजार रुपये, मां सर्वेश्वरी सेवा संस्थान के खाते में दो करोड़ 14 लाख 57 हजार रुपये, सत्यम शिवम कला केंद्र के खाते में एक करोड़ 52 लाख 92 हजार रुपये और शिव सेवा संस्थान के खाते में छह लाख 71 हजार रुपये भेजे गए थे। उन्होंने इस राशि को हड़प लिया।
पता चला है कि चार स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ ही पीएचईडी (जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग) के कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा ने रीता कुमारी (नालंदा) और प्रीति भारती (दरभंगा) को भी व्यक्तिगत लाभ पहुंचाया है।
दोनों के खाते में क्रमशः तीन लाख 60 हजार रुपये और दो लाख 97 हजार रुपये शौचालय के मद में भेजा गया। पुलिस अब इन दोनों के बारे में जानकारी जुटा रही है। इन दोनों महिलाओं का कनेक्शन कार्यपालक अभियंता से क्या है, इसकी जानकारी के लिए स्थानीय पुलिस की मदद ली जा रही है।
इनके खिलाफ भी गांधी मैदान थाने में केस दर्ज हुआ है। इस घपले में पूर्व रोकड़पाल बिटेश्वर प्रसाद सिंह एवं तत्कालीन कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा की भूमिका संदिग्ध पाई गई।
जांच में फंस सकते हैं कई और रसूखदार-
घोटाले की आंच कई अन्य अफसरों तक भी पहुंच सकती है। विनय कुमार सिन्हा के कार्यकाल में एनजीओ को पूर्व में जो लाभ पहुंचाया गया उसकी जांच की जा रही है। घोटाले की रकम बढ़ भी सकती है। शौचालय निर्माण में कुछ फर्जी लाभार्थी के खातों में भी रकम भेजने की बात सामने आ रही है।