नई दिल्ली। भारतीय नौसेना की कलवरी वर्ग की छठी और अंतिम पनडुब्बी वागशीर के समुद्र में परीक्षण शुरू हो गए हैं और इसे अगले साल की शुरुआत तक बेड़े में शामिल किए जाने की उम्मीद है।
‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत निर्मित पनडुब्बी को बेड़े में शामिल करने से ऐसे वक्त में नौसेना की युद्धक क्षमता बढ़ेगी जब चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी तेजी से बढ़ा रहा है। नौसेना ने कहा, ”प्रोजेक्ट-75 की छठी पनडुब्बी ने 18 मई को समुद्र में अपना परीक्षण शुरू कर दिया है।”
वागशीर के समुद्र में परीक्षण पूरे होने के बाद 2024 की शुरुआत में भारतीय नौसेना को इसकी आपूर्ति किए जाने की संभावना है।
पनडुब्बी को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) के कन्होजी आंग्रे वेट बेसिन से पिछले साल अप्रैल में लॉन्च किया गया था।
भारत, हिंद महासागर में चीन के बढ़ते कदमों को लेकर जतायी जा रही आशंकाओं के मद्देनजर क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने के साथ अपनी समुद्री क्षमताओं पर जोर दे रहा है।
प्रोजेक्ट-75 में देश में ही छह पनडुब्बियों का निर्माण शामिल है।
इन पनडुब्बियां का निर्माण फ्रांस नौसैन्य समूह के साथ मिलकर मुंबई स्थित एमडीएल में किया जा रहा है। कलवरी वर्ग की पांच पनडुब्बियों को पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है।
नौसेना ने एक बयान में कहा, ”एमडीएल ने 24 महीने में प्रोजेक्ट-75 की तीन पनडुब्बियों की आपूर्ति की है और छठी पनडुब्बी के समुद्र में परीक्षण शुरू करना एक अहम उपलब्धि है। यह ‘आत्म निर्भर भारत’ की ओर बढ़ने का संकेत है।”