नोट चोरी हुए तो नागार्जुन को मंदिर की दानपेटी से दो बोरे चिल्लर देकर विदा किया

asiakhabar.com | October 27, 2017 | 4:30 pm IST
View Details

baba nagarjuna img 27 10 2017

प्रसिद्ध साहित्यकार बाबा नागार्जुन ने जो अद्‌भुत साहित्य रचा, उसे आज भी गहरा सम्मान हासिल है। साहित्य से अलग उनका जीवन गरीबी व संघर्ष में बीता। उनके साथ ऐसी-ऐसी घटनाएं घटीं, जिन्होंने उन्हें और फक्कड़ बना दिया।

किस्सा कुछ यूं है कि उन दिनों महापंडित राहुल सांकृत्यायन श्रीलंका में बौद्ध-अभियान पर गहन काम कर रहे थे। बाबा नागार्जुन का मन छटपटाया तो वे भी अबोहर की मासिक पत्रिका ‘दीपक’ का संपादन छोड़ अपना झोला उठाए उत्तर भारत से श्रीलंका के लिए चल दिए।

बाबा के पास फूटी कौड़ी न थी, इसलिए जाते-जाते उनके लेखन से प्रभावित एक स्वामीजी ने रास्ते के लिए दो हजार रुपए दिए। बाबा तो फक्कड़ थे, इसलिए पहले मना किया, लेकिन बहुत आग्रह पर रख भी लिए। मगर मद्रास (अब चेन्नई) पहुंचने के दौरान बीच में वे रुपए भी चोरी हो गए। अब बाबा का श्रीलंका पहुंचना संकट में पड़ गया। वे किसी तरह रामेश्वरम्‌ स्थित शंकराचार्य के धर्म-परिसर तक पहुंच गए।

आश्चर्य कि वहां भी उनके साहित्य के प्रशंसक थे। उन्हें जब पता चला कि बाबा के पैसे चोरी हो गए हैं तो उन्होंने धर्म के अध्ययन हेतु जा रहे बाबा नागार्जुन के लिए मंदिर की दानपेटी से दो बोरे चिल्लर निकाली और बोरे बैलगाड़ी पर रखकर बाबा को रवाना किया। वे नोट भी दे सकते थे, लेकिन चिल्लर चोरी होने का डर नहीं था। अंततः बाबा श्रीलंका पहुंचे और महापंडित से मिलकर धर्म का अध्ययन किया।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *