नई दिल्ली।केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप पुरी ने कहा कि वह अपनी मातृ संस्था दिल्ली विश्वविद्यालय में पहुंचकर बहुत ही गर्वित महसूस कर रहे हैं। हरदीप पुरी दिल्ली विश्वविद्यालय में शताब्दी एलुमिनी मीट के अवसर पर शुक्रवार को देर सांय आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में 1968 में अपने दाखिला लेने के समय के हालातों का वर्णन करते हुए बताया उस समय भारत की जीडीपी 50 बिलियन डॉलर की थी जो आज 3.8 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गई है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जब श्री नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली उस समय हम दुनिया की 9वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थे, लेकिन आज हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने आशा जताते हुए कहा कि जल्द ही हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे और इस विकास गाथा में दिल्ली विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा, क्योंकि देश के प्रतिभाशाली विद्यार्थी यहां शिक्षा के लिए आते हैं। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने विश्वविद्यालय की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की और पूर्व छात्रों से विश्वविद्यालय के लिए अनुदान का आह्वान भी किया।
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने आगे अपने संबोधन में विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए बताया की दिल्ली विश्वविद्यालय से दो पूर्व छात्र नोबेल पुरस्कार विजेता रहे हैं, माननीय डीवाई चंद्रचूड़ सहित सुप्रीम कोर्ट के चार चीफ जस्टिस सहित 12 जज सहित दिल्ली विश्वविद्यालय ने दिए हैं। उन्होने बताया कि 15 से अधिक मुख्यमंत्री और राज्यपाल, भूत पूर्व सीएजी, एलजी और कई सेनाध्यक्षों आदि सहित 80 से अधिक कैबिनेट सचिव, अनेकों केंद्रीय और राज्य मंत्री, 150 पद्मश्री, पद्म भूषण एवं पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज से 55 साल पहले इसी महीने में वह दिल्ली विश्वविद्यालय के गेट पर पहली बार पहुंचे थे। अपने जीवन में हिंदू कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के महत्व को रेखांकित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मुझे इस संस्था ने बनाया है। पढ़ाई ऊरी करने के बाद 1974 में मुझे फॉरेन सर्विसेज जॉइन करने का मौका मिला। सेंट स्टीफन कॉलेज में 1 वर्ष तक बतौर शिक्षक भी कार्य किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय एक महान संस्थान है और इसका गौरवशाली इतिहास है। भारत को इस विश्वविद्यालय ने बहुत कुछ दिया।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय वह स्थान है जहां युवा लोग सोचने के स्थापित नजरिये को चुनौती देते हैं और इनोवेशन एवं एंटरप्रेन्योरशिप की दिशा में योगदान देते हैं। विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों से अनुदान प्राप्त करने के मामले में कुलपति के विचार और फाउंडेशन की स्थापना को महत्वपूर्ण बताते हुए श्री पुरी ने कहा कि पिछले 100 वर्षों में दिल्ली विश्वविद्यालय ने बहुत अच्छा काम किया है और आज अगले 100 वर्ष के लिए सोचना है। केंद्रीय मंत्री ने अपनी ओर से सहयोग का आश्वासन देते हुए सभागार में उपस्थित विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों से भी आह्वान किया कि अपनी सामर्थ्य के अनुसार वे फाउंडेशन में योगदान जरूर दें। कुलपति प्रो. योगेश सिंह द्वारा डीयू फाउंडेशन के लिए अनुदान के माध्यम से 1000 करोड़ रुपए का फंड जुटाने के टारगेट की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि हार्वर्ड और येल जैसे विश्वविद्यालयों का अनुदान 40 से 50 बिलियन डॉलर है। उन्होंने उम्मीद जताई की दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित किया गया फाउंडेशन और कंपनी मजबूती से काम करेंगे। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय में अपने विद्यार्थी जीवन के दिनों और डॉक्टर करण सिंह के साथ छात्र संघ की राजनीति के संस्मरकणों को भी साझा किया। इस अवसर पर उपस्थित अनेकों विख्यात पूर्व छात्रों ने भी अपने जीवन के संस्मरण और विचार सांझा किए। इस अवसर पर मुख्यातिथि ने यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली फ़ाउंडेशन के लोगो और वैबसाइट का विमोचन भी किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने विश्वविद्यालय की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि इनोवेशन एवं एंटरप्रेन्योरशिप के विकास और स्टार्टअप कल्चर को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय में सेक्शन 8 कंपनी उदमोदय फाउंडेशन की स्थापना की गई है। इसके अलावा विश्वविद्यालय के शुभचिंतकों एवं पूर्व छात्रों के इंटरेक्शन को बढ़ावा देने के लिए दूसरी कंपनी यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली फाउंडेशन भी बनाई गई है। कुलपति ने इसके लिए धन जुटाने हेतु विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों से अनुदान का आह्वान करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य 1000 करोड रुपए का है। उन्होंने बताया कि इसमें एलआईसी ने फिलहाल एक करोड़ रुपए के साथ एक चेयर शुरू कर दी है।
कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय ने कंपीटेंस इन्हांसमेंट कोर्स शुरू करने की योजना बनाई है जिसके तहत कोई भी व्यक्ति किसी पूरे प्रोग्राम की बजाय किसी कोर्स विशेष को भी ज्वाइन कर सकता है। उन्होंने बताया कि इसे इसी वर्ष जुलाई में लांच कर दिया जाएगा। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने समर्थ के नाम से एक सॉफ्टवेयर विकसित किया है। अब सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय, आईआईटी, एनआईटी और देश के अन्य प्रीमीयर इंस्टीट्यूट समर्थ पोर्टल पर हैं। इस अवसर पर डीन ऑफ कॉलेजज प्रोफेसर बलराम पाणी, दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रोफेसर श्रीप्रकाश सिंह, कुलसचिव डॉ विकास गुप्ता, एलुमनी अफेयर्स की डीन प्रोफेसर श्यामा रथ, यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली फाउंडेशन के सीईओ प्रोफेसर अनिल कुमार, एसओएल की निदेशक प्रोफेसर पायल मागो, प्रोक्टर रजनी अब्बी, पीआरओ अनूप लाठर, शताब्दी समारोह समिति की कन्वीनर प्रोफेसर नीरा अग्निमित्रा, डीयू के पूर्व छात्र डॉक्टर करण सिंह आदि सहित दिल्ली विश्वविद्यालय के सम्मानीय पूर्व विद्यार्थी, डीन्स, प्रिंसिपल, शिक्षक और अधिकारी उपस्थित रहे।