राजीव बटला
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि देश उन नायकों पर गर्व
करता है जो इसकी रक्षा के प्रति समर्पित हैं और जिन्होंने करगिल की दुर्गम पहाड़ियों से दुश्मनों को खदेड़ा था।
करगिल युद्ध में पाकिस्तान पर देश को मिली जीत की 21वीं वर्षगांठ पर, शाह ने कहा कि “करगिल विजय
दिवस” भारत के आत्मसम्मान, असाधारण पराक्रम और दृढ़ नेतृत्व का प्रतीक है। उन्होंने ट्वीट किया, “मैं उन
बहादुरों को नमन करता हूं जिन्होंने अपने अदम्य साहस से करगिल की दुर्गम पहाड़ियों से दुश्मनों को खदेड़ा और
वहां फिर से तिरंगा लहराया। देश भारत के उन वीरों पर गर्व करता है जो मातृभूमि की रक्षा के लिए समर्पित हैं।”
करगिल की बर्फीली चोटियों में करीब तीन महीने तक चले युद्ध के बाद पाकिस्तान पर जीत की घोषणा करते हुए
भारतीय सेना ने 26 जुलाई, 1999 को “ऑपरेशन विजय” के सफल समापन का एलान किया था। युद्ध में 500
से अधिक भारतीय जवानों को शहादत देनी पड़ी थी।
करगिल में भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान ने पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश की थी : मोदी
नई दिल्ली, 26 जुलाई (वेबवार्ता)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को करगिल के शहीदों के बलिदान को याद
करते हुए कहा कि यह युद्ध भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान द्वारा पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश का
परिणाम था।आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘‘मन की बात’’ की 67वीं कड़ी में लोगों के साथ अपने
विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मंसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और
अपने यहां चल रहे आंतरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर ये दुस्साहस किया था।उन्होंने कहा, ‘‘आज 26
जुलाई है और आज का दिन बहुत खास है। आज करगिल विजय दिवस है। 21 साल पहले आज ही के दिन
करगिल के युद्ध में हमारी सेना ने भारत की जीत का झंडा फहराया था।’’उन्होंने कहा कि करगिल का युद्ध किन
परिस्थितियों में हुआ था वह भारत कभी नहीं भूल सकता।मोदी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मंसूबे पालकर
भारत की भूमि हथियाने और अपने यहां चल रहे आंतरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर दुस्साहस किया था
जबकि भारत, पाकिस्तान से अच्छे संबंधों के लिए प्रयासरत था।’’उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे स्वभाव के लोग जो हित
करता है, उसका भी नुकसान ही सोचते हैं। इसीलिए भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान द्वारा पीठ में छुरा
घोंपने की कोशिश हुई थी।’’मोदी ने कहा कि लेकिन उसके बाद भारत की वीर सेना ने जो पराक्रम दिखाया, जो
ताकत दिखाई, उसे पूरी दुनिया ने देखा।उन्होंने कहा, ‘‘आप कल्पना कर सकते हैं कि ऊंचे पहाड़ों पर बैठा हुआ
दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेनाएं, हमारे जवान। लेकिन जीत पहाड़ की ऊंचाई की नहीं, भारत की सेनाओं
के, उनके हौसले और सच्ची वीरता की हुई।’’