जयपुर। राजस्थान में लोकसभा चुनाव का पहला चरण पूरा होने के बाद दूसरे चरण
की बारह सीटों पर चुनाव प्रचार में तेजी आ गई है। पहले चरण में अपने पुत्रों के चुनाव प्रचार में जुटे
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दूसरे चरण में प्रचार के लिए तैयार हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे भी फिर शुरु हो गये हैं। देशभर में
लोकसभा चुनाव के चार चरण पूरे होने के बाद वहां के प्रचार से मुक्त हुए नेताओं का भी जोर अब
राजस्थान पर रहने वाला है। भाजपा प्रचार के दौरान जहां राष्ट्रवाद को मुख्य मुद्दा बना रही है, वहीं
कांग्रेस युवाओं को सरकारी नौकरी देने और न्याय योजना के जरिए गरीबों को छह हजार रुपये प्रतिमाह
देने का वायदा करके मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रही है।
पिछले विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिलने से भाजपा को काफी
परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। दूसरे चरण में लोकसभा की बारह सीटों में विधानसभा की 96
सीटें आतीं हैं, जिनमें कांग्रेस के 56 और भाजपा के 23 विधायक ही हैं। लिहाजा दौसा, भरतपुर, अलवर,
करौली, धौलपुर और जयपुर संसदीय क्षेत्र में भाजपा को काफी जोर लगाना पड़ेगा। बीकानेर से केन्द्रीय
मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, जयपुर ग्रामीण से राज्यवर्धन सिंह राठौड़ सहित सात सांसदों के चुनाव लड़ने के
साथ नागौर सीट पर गठबंधन प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल की सीट काफी चर्चित है। अलवर में पिछले
लोकसभा चुनाव में भाजपा के महंत चांदनाथ ने चुनाव जीता था, लेकिन उनके निधन के बाद हुए
उपचुनाव में भाजपा बुरी तरह हार गई। यहां से कांग्रेस ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह को चुनाव
मैदान में उतारा है जबकि भाजपा ने चांदनाथ की गद्दी के उत्तराधिकारी बालक नाथ पर भरोसा किया है।
जयपुर ग्रामीण में दो पूर्व ओलंपियन भाजपा के राज्यवर्धन सिंह तथा कांग्रेस की कृष्णा पूनिया के बीच
रोचक मुकाबला है। जयपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस की ज्योति खण्डेलवाल भाजपा के सांसद रामचरण
बोहरा का मुकाबला कर रही है। बीकानेर में केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को अपने मौसेरे भाई कांग्रेस
के मदनगोपाल के साथ ही श्री अर्जुनराम के विरोध में पार्टी से इस्तीफा दे चुके पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी
से भी मुकाबला करना पड़ रहा है।
जाट बहुल क्षेत्र चुरु तथा सीकर में भाजपा ने दोनों सांसदों को फिर मैदान में उतारा है, जबकि झुंझुनूं में
सांसद संतोष अहलावत का टिकट काट विधायक नरेन्द्र खींचड़ पर भरोसा किया है। जाटों को प्रभावित
करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सीकर में सभा रखी है, जहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी
वाजपेयी ने जनसभा करके जाटों का रुख भाजपा के पक्ष में किया था। सीकर में भाजपा से पलटी मारने
वाले सुभाष महरिया पर कांग्रेस ने भरोसा करके सांसद सुमेधानंद को चुनौती दी है।
दौसा में पिछली बार सांसद बने हरीश मीणा के कांग्रेस में जाने के बाद भाजपा नेृतृत्व को इस सीट पर
नाम तय करने में काफी जद्दोजहद करनी पड़़ी। पार्टी ने यहां से राज्यसभा सदस्य किरोड़़ीलाल मीणा की
नाराजगी के बावजूद पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसकौर मीणा को चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट पर कांग्रेस
की सविता मीणा के खड़े होने से दो महिलाओं के बीच रोचक मुकाबला होगा। भरतपुर में सांसद बहादुर
सिंह का टिकट काटकर रंजीता कौली को उम्मीदवार बनाया गया है, जिनके सामने कांग्रेस के नये चेहरे
अभिजीत कुमार जाटव मैदान में हैं। करौली में सांसद मनोज राजौरिया को दुबारा मैदान में उतारने पर
भाजपा में काफी नाराजगी देखी गई। कांग्रेस ने यहां से संजय जाटव को मैदान में उतारा है।
गंगानगर में सांसद निहालचंद चौथी बार संसद में जाने के लिए किस्मत आजमा रहे हैं जिनके सामने
कांग्रेस ने पूर्व सांसद भरत मेघवाल को मैदान में उतारा है। नागौर में भाजपा ने केन्द्रीय मंत्री सी आर
चौधरी का टिकट काटकर यह सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल को दे दी जो
नरेन्द्र मोदी को दुबारा प्रधानमंत्री बनाने के लिए जाटों को भाजपा के पक्ष में एकजुट करने का दावा कर
रहे हैं। कांग्रेस ने यहां से ज्योति मिर्धा को चुनाव मैदान में उतारा है।