नई दिल्ली।दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृति परिषद कार्यालय द्वारा एक तीन दिवसीय ड्राइंग एवं पेंटिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर परिषद की संचालन समिति के चेयरपर्सन अनूप लाठर मुख्य अतिथि रहे। कार्यशाला के समापन पर सभी प्रतिभागियों ने अपनी अपनी कलाकृतियों के साथ कुलपति प्रो. योगेश सिंह से कुलपति कार्यालय में मुलाकात की। कुलपति ने सभी कलाकारों से उनकी कलाकृतियों के बारे में जानकारी ली। इस दौरान कुलपति ने कहा कि कला के बिना जीवन अधूरा है। कला वह पूंजी है, जो कलाकारों को सामाजिक तथा आर्थिक रूप से समृद्ध बनाती है।
21 से 23 मार्च तक आयोजित इस कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि अनूप लाठर ने विद्यार्थियों को ऐसे आयोजनों में भाग लेने के लिए संदेश देते हुए कौशल विकास उपकरण के रूप में चित्रकला के महत्व पर जोर दिया। कार्यशाला के संयोजक एवं सांस्कृतिक परिषद के डीन प्रो. रविंदर कुमार ने सभी अतिथियों और रिसोर्स पर्सन सिद्धार्थ का स्वागत किया। प्रो. रविंदर कुमार ने अपने संबोधन के दौरान आश्वासन दिया कि अगले शैक्षणिक वर्ष में भी इस तरह के आयोजन होते रहेंगे।
इस कार्यशाला में विभिन्न कॉलेजों और विभागों के 23 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस दौरान बहुत ही विद्वान पेंटर और मूर्तिकार, सिद्धार्थ की देखरेख में सभी विद्यार्थियों ने कला की बारीकियों को सीखा और समझा कि अपनी कला को खूबसूरती से कैसे चित्रित किया जाए। इस तीन दिवसीय कार्यशाला के दौरान सिद्धार्थ ने अपने गायन के साथ अपने पेंटिंग के विस्तृत अनुभवों को भी साझा किया। विदित रहे कि सिद्धार्थ चित्रकारी और मूर्तिकला निर्माण के क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध कलाकार हैं। उन्होंने भारत के अलावा यूके, स्वीडन, यूएस, सिंगापुर और हांगकांग में 135 से अधिक ग्रुप शो में भाग लिया है। उन्हें पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला द्वारा 2012 में सिद्धार्थ को डी. लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई। कार्यशाला के समापन सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रॉक्टर प्रो. रजनी अब्बी ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया। संस्कृति परिषद के संयुक्त डीन और कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. हेमंत वर्मा ने प्रो. रजनी अब्बी का स्वागत किया।