दिल्ली विश्वविद्यालय में G-20 पर विशेष लेक्चर एवं वार्षिक पुरस्कार समारोह आयोजित

asiakhabar.com | March 23, 2023 | 11:54 am IST

नई दिल्ली।G-20 के शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने वैश्विक विकास में महिलाओं की भूमिका को इंगित करते हुए कहा कि आधी आबादी के सहयोग के बिना विकास संभव नहीं है। वह दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा G-20 पर आयोजित विशेष लेक्चर एवं वार्षिक पुरस्कार समारोह के दौरान बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। विश्वविद्यालय के वाइस रीगल लॉज में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने की। उन्होने अपने संबोधन में कहा कि “वसुधैव कुटुम्बकम्” हमारे लिए कोई नया शब्द नहीं है, बल्कि यह तो हमारी संस्कृति है। इस अवसर पर अपने कार्यों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के अनेकों शिक्षकों और गैर शिक्षक अधिकारियों व कर्मचारियों को पुरस्कृत भी किया गया।
अमिताभ कांत ने अपने संबोधन में कहा कि भारत ने महिलाओं के लिए आर्थिक और डिजिटल समावेश सहित पोषण पर विशेष ध्यान दिया है; G-20 देशों के लिए भी ये विषय मुख्य प्राथमिकता होने चाहियें। उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों में विकसित दुनिया ने एजेंडा लिखा है और हमने मात्र प्रतिक्रिया दी है, इतिहास में पहली बार है कि भारत दुनिया के लिए एजेंडे को आकार देने वाला देश बना है। आज दुनिया के 75 देश वैश्विक संकट से गुजर रहे हैं, जलवायु परिवर्तन नई चुनौती बनकर उभर रहा है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद हम बड़े आर्थिक संकट देख रहे हैं। इस दौर में भारत ने G-20 की अध्यक्षता की चुनौती को स्वीकार किया है। भारत के विकासात्मक कार्यों का उल्लेख करते हुए उन्होने बताया कि हमने 110 मिलियन भारतियों को शौचालय उपलब्ध करवाए हैं, जोकि जर्मनी की कुल आबादी के बराबर हैं। 243 मिलियन भारतियों को नल जल के कनेक्शन दिये हैं, जोकि ब्राज़ील के प्रत्येक व्यक्ति को कनेक्शन देने के बराबर हैं। 55000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया है। यह विकास और राजनैतिक इच्छाशक्ति इसलिए आवश्यक है कि हम दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं।
डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि वर्तमान दौर में रिड्यूस, रीयूज, रिपेयर और रीसाइकल शब्दों का बहुत महत्व है। यदि हमें पर्यावरण के संरक्षण हेतु कदम उठाने हैं तो इन शब्दों को ध्यान में रखना होगा। हमें इस दिशा में काम करना होगा और ऐसे उपकरण विकसित करने होंगे ताकि इन शब्दों का प्रभावी तरीके से कार्यान्वयन हो सके। G-20 पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह दुनिया के महत्वपूर्ण 20 देशों का समूह है। ये देश दुनिया की 85% जीडीपी और 75% व्यापार का प्रतिनिधित्व करते हैं। दुनिया की दो तिहाई आबादी इन देशों में निवास करती है। आज जब भारत G-20 की अध्यक्षता कर रहा है तो हम “वसुधैव कुटुम्बकम्” के ध्येय के अनुरूप कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दे सकते हैं। कुलपति ने कहा कि यह शब्द हमारे लिए कोई नया शब्द नहीं है, बल्कि यह तो हमारी संस्कृति है। कार्यक्रम की शुरुआत में डीयू कुलसचिव डॉ. विकास गुप्ता द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया और समारोह के अंत में डीन एकेडमिक प्रो. के. रत्नावली ने आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह और डीन ऑफ कॉलेजेज़ प्रो. बलराम पाणी सहित कई डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षक और अधिकारी आदि उपस्थित रहे।
डीयू ने बनाया G-20 गतिविधियों में भाग लेने का रोड़ मैप
डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने सक्रिय रूप से G-20 गतिविधियों में भाग लेने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय द्वारा प्रत्येक देश के लिए अलग-अलग 20 ग्रुप बनाए जाएंगे। प्रत्येक ग्रुप में 3 कॉलेज होंगे जिनमें से एक पेरैंट कॉलेज और दो-दो एसोशिएट कॉलेज होंगे। विश्वविद्यालय के दो टीचिंग डिपार्टमेंट भी इनमें भाग लेंगे। यह ग्रुप संबंधित देशों के दूतावासों से संपर्क बनाएंगे और मिलकर लक्ष्य निर्धारित करने के साथ-साथ प्रोग्राम डिजाइन करेंगे। अगले कुछ महीनों में दिल्ली विश्वविद्यालय ऐसे कार्यक्रम और परिचर्चाओं का आयोजन करेगा। उन्होने सभी से इस कार्य में सक्रियता से भाग लेने का आह्वान भी किया, ताकि अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकें।
विभिन्न श्रेणियों के तहत इन को मिले पुरस्कार
अपने कार्यों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों और गैर शिक्षक अधिकारियों व कर्मचारियों को विभिन्न श्रेणियों के तहत पुरस्कृत किया गया। इनमें प्रो. (सेवानिवृत्त) पी.सी. जोशी को निष्ठा धृति सत्यम सम्मान प्रदान किया गया। सेवानिवृत्त शिक्षकों के लिए विशिष्ट सेवा पुरस्कार के तहत प्रो. वीरेंद्र एस. परमार, डॉ. लीला ओमचेरी, प्रो जगबीर सिंह, प्रो. रानी गुप्ता, प्रो. दीप्ति शर्मा त्रिपाठी और प्रो. पी.बी. मंगला शामिल हैं। गैर-शिक्षण श्रेणी में सेवानिवृत्त व्यक्तियों के लिए विशिष्ट सेवा पुरस्कार के तहत सुश्री नीलम बेदी, जुहर सिंह और शमा परवीन फारूकी को पुरस्कृत किया गया। विभागों/संस्थानों/केंद्रों में सेवारत शिक्षकों के लिए उत्कृष्टता पुरस्कार – आयु 45 वर्ष या उससे कम के तहत डॉ. असनी भादुड़ी, प्रो संजय रॉय, प्रो नीति भसीन और पुष्कर आनंद कु चुना गया। विभागों/संस्थानों/केंद्रों में कार्यरत शिक्षकों के लिए उत्कृष्टता पुरस्कार – आयु 45 वर्ष से अधिक के लिए प्रो. इंद्रजीत सिंह और प्रो. संजय भट्ट को पुरस्कृत किया गया। कॉलेजों में सेवा में शिक्षकों के लिए उत्कृष्टता पुरस्कार – आयु 45 वर्ष या उससे कम के तहत प्रो मनोज सक्सेना, डॉ. पूजा गोयल और डॉ. अनिंदिता सरकार को पुरस्कार मिला। कॉलेजों में सेवारत शिक्षकों के लिए उत्कृष्टता पुरस्कार – आयु 45 वर्ष से अधिक श्रेणी में प्रो एजेसी बोस, प्रो मीतू खोसला और प्रो. सुनीता भगत चुने गए। विभागों/संस्थानों/केंद्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ वेबसाइट पुरस्कार लॉ सेंटर – 1 और कॉलेजों के लिए सर्वश्रेष्ठ वेबसाइट पुरस्कार शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज को मिला। मरणोपरांत पुरस्कार के तहत प्रो. वनिता त्रिपाठी, प्रो विनय गुप्ता, प्रो. बी.पी. साहू, प्रो सुनील कुमार, प्रो. वीना कुकरेजा और प्रो. प्रतीक चौधरी को चुना गया। विशेष प्रशंसा पुरस्कार (गैर-शिक्षण कर्मचारी इन-सर्विस) के तहत प्रदीप कुमार, शरद कुमार संत, डॉ. नरेश कुमार, जुल्फी राम सोहल और हितेश निर्मल को पुरस्कृत किया गया।
सुरक्षा कर्मचारियों को भी मिले विशेष पुरस्कार
पुरस्कार विजेताओं की सूची के अलावा 15 सुरक्षा गार्ड (10 पुरुष और 5 महिलाएं) को भी विश्वविद्यालय में सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखने में अनुकरणीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। जिनमें नारायण दत्त, संजय कुमार, वीरेंद्र सिंह, बिजेन्द्र सिंह राणा, सुरेंद्र, रामेश्वर दयाल (डायमंड), याद राम (डायमंड), संजय पाठक (रक्षक), रवि (रक्षक), मिथलेश (रक्षक), सुश्री पिंकी (रक्षक), मीना गोसाईं (रक्षक), सुमन (डायमंड), गीना (डायमंड) और रितु (डायमंड) के नाम शामिल हैं। इनके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रथम गीत कुल गीत की रचना करने वाले कवि गजेन्द्र सोलंकी को भी पुरस्कृत किया गया।


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