16 नवंबर,नई दिल्ली। दिल्ली की हवा इन दिनों इतनी जहरीली है कि यह आपके फेफड़ों को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है। इतना नुकसान तो लगातार धूम्रपान करने वालों को भी नहीं होता है। शहर के कुछ हिस्सों में एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरे के स्तर से ऊपर 999 पर पहुंच चुका है।
हालांकि, हमारे फेफड़ों में एक पॉल्यूशन फिल्टर होता है, जो धूल और गंदगी को दूर करता है। मगर, वे कार्बन के प्रदूषण को दूर करने के लिए नहीं बने होते हैं, जो आज दिल्ली की हवा में बहुतायत में पाए जाते हैं। धुएं का घातक मिश्रण, रासायनिक विषाक्त पदार्थों और वाहनों का धुआं सांस के जरिये जब शरीर के अंदर जाता है, तो अस्थमा होने का खतरा बढ़ जाता है और पहले से मौजूद श्वसन रोग होने पर स्थिति और बिगड़ जाती है।
मगर, आपके किचन में मौजूद एक चीज फेफड़ों को इस प्रदूषण से बचाने में मदद कर सकती है। वह है गुड़। यह शुगर का सबसे शुद्ध रूप है, जिसे गन्ने के रस को उबाल कर बनाया जाता है। औद्योगिक श्रमिक, जो धूल और धुएं के वातावरण में जैसे कोयला खानों में काम करते हैं, उन्हें दिन का काम खत्म होने के बाद खाने के लिए गुड दिया जाता है।
यह विशेषरूप से उन कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों को दिया जाता है, जो अत्यधिक प्रदूषित वातावरण में काम करते हैं। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, उन श्रमिकों पर धूल और धुएं के माहौल में काम करने की वजह से कोई परेशानी महसूस नहीं हुई, जिन्होंने काम खत्म करने के बाद गुड़ खाया था।
भारत के राष्ट्रपति के पूर्व चिकित्सक डॉ (प्रोफेसर) एम वली कहते हैं कि गुड़ खाने से तत्काल ऊर्जा मिलती है क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में आयरन मौजूद होता है। आयरन युक्त खाद्य पदार्थ को खाने के खून में हीमोग्लोबिन स्तर को बेहतर बनाता है, जिससे रक्त में ऑक्सीजन की क्षमता बढ़ जाती है। इससे प्रदूषण के गंभीर नतीजों को कम करने में मदद करता है।
कई अध्ययनों और रिपोर्टों ने यह साबित कर दिया है कि हर दिन थोड़ा सा गुड़ खाने से हवा में मौजूद कार्बन प्रदूषण का मुकाबला करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, डॉ. वली सलाह देते हैं कि गुड़ का सेवन दिन में दो से चार ग्राम तक ही सीमित होना चाहिए और मधुमेह से पीड़ित रोगियों को गुड़ नहीं खाना चाहिए।