नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर से बाहर की इंडस्ट्री में पेट कोक के इस्तेमाल की इजाजत की मांग करने वाला सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि चीन, अमेरिका जैसे देश इस पर बैन लगा चुके हैं, इंसानी जान की कीमत इसी देश में सबसे कम है। क्या सिर्फ बिजनेसमैन को मुनाफा कमाने का अधिकार है, आम आदमी को जीने का नहीं। इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुका है। 16 जुलाई,2018 को कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश के लोगों की जान किसी भी उद्योग से अधिक कीमती है। जस्टिस मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि लोगों की जान से कोई समझौता नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रदूषण से 2017 में 60 हजार लोगों की मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि क्या लोगों को सांस लेने का अधिकार नहीं है? आप के लिए क्या जरूरी है- लोगों की ज़िंदगी बचाना या इंडस्ट्री? सुप्रीम कोर्ट की इस फटकार के बाद केंद्र सरकार ने कहा था कि वो पेट कोक का देश में आयात करने के पक्ष में नहीं है।सुप्रीम कोर्ट ने पेट कोक और फर्नेस ऑयल को बैन करने को लेकर ढील देते हुए तीन राज्यों हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सीमेंट, पावर, लाइमस्टोन से जुड़े उद्योगों को पेट कोक और फर्नेस आयल के इस्तेमाल की छूट दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस पर बैन से संबंधित अधिसूचना में बदलाव लाने का निर्देश दिया था। सीपीसीबी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वो हर महीने डाटा तैयार करेगी कि सीमेंट आदि की फैक्ट्रियों में पेट कोक कहां से आया और कितना इस्तेमाल हुआ है। 24 अक्टूबर,2017 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए पूरे एनसीआर क्षेत्र के उद्योगों में फर्नेस ऑयल और पेट कोक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद सीपीसीबी के कहने पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन राज्यों में ढील दी थी।