नई दिल्ली:तिरुवनंतपुरम देश विदेश में नागरी लिपि का प्रचार प्रसार करने वाली एकमात्र संस्था नागरी लिपि परिषद के 46 वें अखिल भारतीय नागरी लिपि सम्मेलन का भव्य आयोजन केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के केरल हिंदी प्रचार सभा भवन में हुआ। इसमें देश-विदेश के अनेक नागरी प्रेमी एवं विद्वानों ने भौतिक रूप से एवं आनलाइन माध्यम अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज कराई। इसकी अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति डॉ प्रेमचंद पातंजलि ने की और मुख्य अतिथि के रूप में केरल पब्लिक एंटरप्राइजेज चयन बोर्ड के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्य सचिव केरल डॉ वी पी जाॅय पधारे। सर्व प्रथम नागरी वंदना श्री मोहन द्विवेदी ने और इसका मलयालम काव्यानुवाद श्रीमती राजपुष्पम ने प्रस्तुत किया। अपने स्वागत भाषण में केरल हिंदी प्रचार सभा के मंत्री एडवोकेट श्री बी मधु इस सम्मेलन के सभा भवन में आयोजित करने पर हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त की। तत्पश्चात नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल ने विषय प्रवर्तन करते हुए अपने व्याख्यान में राष्ट्रीय एकता के लिए नागरी लिपि के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि आज लिपिबद्धता के अभाव में अनेक बोली भाषाएं काल के गाल में जाने को विवश हैं।आज भारत जगह जगह अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय नजर आते हैं, किंतु कहीं भी तमिल स्कूल या मलयालम स्कूल नजर नहीं आते।
इस अवसर पर परिषद की मुख पत्रिका नागरी संगम की केरल नागरी स्मारिका का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। इसके उपरांत अनेक नागरी विद्वानों को विभिन्न नागरी सम्मान से अलंकृत किया गया। विशिष्ट अतिथि डॉ तंकमणि अम्मा और डॉ आरसू ने इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल की भूरि भूरि प्रशंसा की। मुख्य अतिथि डॉ जाय ने नागरी लिपि परिषद की उपलब्धियों को राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में महत्वपूर्ण बताया।अध्यक्ष डॉ पातंजलि ने नागरी लिपि परिषद के कार्यों को रेखांकित किया। परिषद के कार्याध्यक्ष डॉ शहाबुद्दीन शेख ने धन्यवाद ज्ञापित किया।