कछार (असम)। निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्निर्धारण (डीलिमिटेशन) के मसौदे के विरोध में कई दलों और संगठनों के आज 12 घंटे के बराक घाटी (कछार, करीमगंज एवं हैलाकांदी जिला) बंद का मिला-जुला असर दिख रहा है। कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने इस मुद्दे पर अलग-अलग बंद आहूत किया है। सुबह पांच बजे से आहूत बंद का बराक घाटी में मिला-जुला असर है।
भारत निर्वाचन आयोग के दोबारा प्रकाशित मसौदा निर्वाचन क्षेत्र के विरोध में बीडीएफ के बराक बंद को कांग्रेस के साथ-साथ अन्य दलों ने भी समर्थन दिया है। दूसरी ओर, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने भी अलग से बंद का आह्वान किया है। हैलाकांदी जिले के काटलीचेरा निर्वाचन क्षेत्र में बराक घाटी के भीतर बंद का सबसे अधिक प्रभाव देखा गया है। कछार, करीमगंज, हैलाकांदी में भी काफी तनाव है।
बराक में दो विधानसभा क्षेत्रों को समाप्त करने के प्रस्ताव के विरोध में बंद का आह्वान किया गया है। इसके मद्देनजर राजमार्गों पर भारी संख्या में पुलिस और सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। कांग्रेस के साथ सीपीआई, सीपीएम, पीपुल्स पार्टी और अन्य के साथ ही संगठनों ने इस बंद का समर्थन किया है। केंद्रीय स्तर पर जिस तरह से एआईयूडीएफ को विपक्षी पार्टियों ने अलग रख छोड़ा है, उसी तरह की स्थिति बराक घाटी में भी देखने को मिली है। एआईयूडीएफ इस मुद्दे पर अकेले ही अपना विरोध दर्ज करा रही है।
बीडीएफ के मुख्य संयोजक ने कहा कि निर्वाचन क्षेत्र को फिर से निर्धारित करने के प्रस्ताव के विरोध में 12 घंटे का बंद आहूत किया गया है। दो विधानसभा क्षेत्रों को समाप्त कर दिया गया है। इमनमें एक हैलाकांडी (काटलीचेरा) में और दूसरा करीमगंज जिले (पथारकांदी) में। प्रस्तावित निर्वाचन क्षेत्र पुनर्निर्धारण योजना ने बराक घाटी में विधानसभा सीटों की संख्या 15 से घटाकर 13 कर दी है। इससे इसका प्रतिनिधित्व भी कम हो गया है।
बीडीएफ इस बात को लेकर नाराजगी जता रहा है कि एक ओर जहां बराक घाटी में सीटों की संख्या को कम कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) में सीटों की संख्या को बढ़ा दिया गया है। बीडीएफ का कहना है कि यह कदम बराक घाटी के साथ भेदभाव वाला है। इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस बीच बंद के दौरान कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।