पटना। अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं, कम से कम बिहार की जूली के मामले में तो ये बात सच है। अपने और पिता के सपने को पूरा करने की जिद की बदौलत जूली ने बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा पास की।
जूली के लिए केवल ये ही गर्व की बात नहीं है, बल्कि जूली उसी कोर्ट में जज के तौर पर फैसला सुनाएंगी, जहां उनके पिता चपरासी के तौर पर काम कर चुके हैं। तंगहाली के बावजूद बेटी को जज बनते देखने के पिता के सपने को जूली ने हर पल जिया और आज उस ख्वाब को पूरा कर दिखाया।
इस हफ्ते परीक्षा का नतीजा सामने आने के बाद से जूली की कामयाबी पर पूरा परिवार खुशियां मना रहा है। मगर इस खुशी की घड़ी में जूली को अपने पिता की कमी खल रही है। क्योंकि हॉस्पिटल में भर्ती होने की वजह से उनके पिता को अपनी बेटी की कामयाबी का पता ही नहीं है।
जूली के पिता को भागलपुर के जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। जहां गुरुवार को उनकी तबीयत और बिगड़ गई। उनकी सेहत को देखते हुए डॉक्टरों ने परिवारवालों को उनसे बात करने तक के लिए मना कर दिया। लेकिन जूली और उसके परिवारवालों को उम्मीद है कि जल्द ही उसके पिता जगदीश शाह ठीक हो जाएंगे और बेटी की जज बनने की खबर सुनते ही खुशी से झूम उठेंगे।
पिता की कोर्ट में ही जज बनेंगी जूली-
जूली के पिता जगदीश शाह भागलपुर के सिविल कोर्ट में बतौर चपरासी काम कर चुके हैं और ये बड़ी तारीफ की बात है कि अब उनकी बेटी जूली भी इसी कोर्ट में जज बनकर काम करेंगी।
सरकारी स्कूल से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद जूली ने 2011 में टीएनबी लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। इस दौरान साल 2009 में जूली की शादी हो गई। मगर इसके बाद भी अपने पिता के सपने को पूरा करने की जिद कम नहीं हुई और जूली ने पहली बार में ही 29वीं बिहार ज्यूडिशियल सर्विस एक्जामिनेशन पास कर ली।
इस कामयाबी पर जूली काफी खुश हैं, मगर पिता का खराब सेहत को लेकर थोड़ी मायूस भी, क्योंकि वो अब तक अपने उस पिता को ये खबर नहीं सुना पाईं हैं, जिसका सपना वो सालों से देख रहे थे।